इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सियासी हलचल के बीच आज प्रधानमंत्री इमरान खान ने सार्वजनिक रूप से भारत की तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत क्वाड का सदस्य है, लेकिन प्रतिबंधों के बावजूद वह रूस से तेल की खरीदी कर रहा है. क्योंकि भारत की विदेश नीति उसके आवाम के लिए है. इन्होंने हमेशा एक आजाद विदेश नीति का पालन किया है.
पीएम इमरान खान रविवार को मलकंद जिले में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने खुले मंच से भारत की तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिये. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के बागी सांसदों को माफ करने और पार्टी में वापस बुलाने की भी बात कही. पाकिस्तानी आवाम को संबोधित करते हुए पीएम ने यूरोपीय संघ पर भी हमला बोला.
बता दें कि पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर से हलचल देखने को मिल रही है. सूत्रों के मुताबिक, अब इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है. पाक संसद में इमरान खान के खिलाफ 25 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होने जा रही है. इधर, उनकी पार्टी के ही कई सांसद उनके विरोध में खड़े हैं, जिसे लेकर इस वोटिंग से इमरान को सत्ता छोड़ने का डर बैठ गया है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 25 मार्च को सदन का सत्र बुलाने की रविवार को घोषणा की. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था. इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान नीत पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है.
सचिवालय ने रविवार को अधिसूचना जारी कर अहम सत्र को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी. विपक्ष ने कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार 21 मार्च तक सत्र बुलाने की मांग की थी. अधिसूचना के अनुसार, सत्र शुक्रवार को सुबह 11 बजे शुरू होगा और यह मौजूदा नेशनल असेंबली का 41वां सत्र होगा. स्पीकर ने पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 54 (3) और 254 के तहत प्रदत्त शक्ति के तहत सत्र बुलाया है.
विपक्ष का कहना है कि 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री शेख राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विशेष परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है. इस मामले में देरी 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन के बहुचर्चित 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है.