पंचक में न शुरू करें कोई शुभ कार्य

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह इस बात पर भी निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है।

पंचक सितंबर 2019: अशुभ समय के तौर पर देखे जाने वाले पंचक काल की शुरुआत इस बार सितंबर में आज आधी रात के बाद से हो रही है। पंचांग के अनुसार पंचक बुधवार आधी रात के बाद 3.29 बजे से लग रहा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार ग्रहों और नक्षत्रों की चाल का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इसमें पंचक काल बहुत अहम बन जाता है। पांच दिनों तक लगने वाले पंचक काल में शुभ काम करने की मनाही होती है।

पंचक सितंबर 2019 : पंचक काल कब से कब तक

पंचक बुधवार आधी रात के बाद 3.29 से लग रहा है और 17 सितंबर (मंगलवार) को तड़के 4.23 बजे खत्म होगा। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है। इस तरह दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक रहता है। 

इन्हीं पांच दिनों के दौरान चंद्रमा जब आखिरी पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है तो इसे पंचक कहते हैं। दरअसल, कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इसी में आखिरी पांच को दूषित माना गया है।

पंचक सितंबर 2019 : पंचक के दिन और प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह इस बात पर निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है। अगर पंचक की शुरुआत रविवार से होती है तो उसे रोग पंचक कहते हैं, ऐसे ही शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू हुए पंचक को राजपंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक, बुध और गुरुवार को अशुभ जबकि शुक्रवार को चोर पचंक कहा जाता है।

पंचक सितंबर 2019: पंचक में नहीं करें ये काम

मान्यता है कि पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसे दरअसल यम की दिशा के तौर पर जाना जाता है। इसलिए इस दिशा में पंचक के दौरान यात्रा से हानि और कष्ट की आशंका रहती है।

पंचक के दौरान सोने के लिए स्थान जैसे पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर आदि खरीदना भी वर्जित है। इन दिनों में इन्हें खरीदना अशुभ माना गया है। पंचक काल में घर की छत नहीं डाली जानी चाहिए। इसे नुकसान और घर में क्लेश की आशंका बनी रहती है।

पंचक हर 27 दिन में आता है। इस लिहाज से सितंबर के बाद अब अक्टूबर में पंचक 9 तारीख से लगेगा। यह पंचक 9 अक्टूबर को सुबह 9.42 बजे से 14 अक्टूबर (सोमवार) को 10.21 के बीच रहेगा

11 सितंबर (बुधवार) : पंचक प्रारम्भ रात्रि 3 बज कर 28 मिनट से। प्रदोष व्रत। ओणम।

12 सितंबर(गुरुवार) : पंचक जारी है। अनंत चतुर्दशी।

13 सितंबर (शुक्रवार) : पंचक जारी है। पूर्णिमा व्रत। पूर्णिमा का श्राद्ध। महालय श्राद्ध आरम्भ।

14 सितंबर (शनिवार) : पंचक जारी है। स्नान-दान की पूर्णिमा। पितृ-पक्ष प्रारम्भ। प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध।

15 सितंबर (रविवार) : पंचक जारी है। द्वितीया तिथि श्राद्ध।

16 सितंबर (सोमवार) : पंचक समाप्त रात्रि 4.21 पर। इस दिन कोई श्राद्ध नहीं है, किन्तु जो लोग किसी कारण द्वितीया श्राद्ध न कर सकें, वे इस दिन मध्याह्न 1.35 से 2.36 तक श्राद्ध कर सकते हैं। – पं. वेणीमाधव गोस्वामी

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