शिवराज कैबिनेट का फैसला, ग्वालियर और रतलाम में करोड़ों की जमीन प्राइवेट डेवलपर्स को देंगे

भोपाल मध्यप्रदेश

भोपाल   मध्यप्रदेश के ग्वालियर और रतलाम में करोड़ों रुपए की जमीनें प्राइवेट हाथों में सौंपी जाएगी। इसमें ग्वालियर में परिवहन विभाग के डिपो और रतलाम जिले के तराना में परिसंपत्ति विभाग की जमीन शामिल है। दोनों जमीनों की कीमत करोड़ाें रुपए में है।

गुरुवार को भोपाल में शिवराज कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि ग्वालियर में परिवहन विभाग की 65 करोड़ 11 लाख रुपए में 100 % रजिस्ट्री की राशि जमा करने पर कामतानाथ कंस्ट्रक्शन को देने की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा रतलाम के तराना में लोक परिसंपत्ति विभाग की जमीन 17 करोड़ 76 लाख रुपए में तराना डेवलपर्स को दी जाएगी। जिले में ही 2 करोड़ 32 लाख रजिस्ट्री शुल्क देने पर जमीन सद्गुरु इंटरप्राइजेज को देने की मंजूरी दी गई।

ओंकारेश्वर में लहरों पर बनेगी बिजली, छतरपुर में सोलर पार्क

प्रदेश में नवीन और नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा ओंकारेश्वर में 600 मेगावाॅट का फ्लोटिंग सौर पार्क और छतरपुर में 950 मेगावाट का सौर ऊर्जा पार्क बनाने की मंजूरी दी गई।

गैस राहत विभाग में अस्थाई पदों की मंजूरी

भोपाल गैस त्रासदी की निरंतरता के लिए पांच साल के लिए 1363 अस्थाई पदों के लिए के लिए स्वीकृति दी।

ग्राम सभाओं को मिला वन समितियों के गठन का स्वतंत्र अधिकार

गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए पीएम मोदी के समक्ष कई घोषणा की गई थीं। वन विभाग ने 10 % लाभांश राशि का प्रस्ताव दिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय समुदाय के लिए संचित निधि का पैसा वन समितियों को देने का फैसला लिया है। वन समितियों के गठन का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया गया है। इसमें अब विभाग का हस्तक्षेप नहीं होगा। वन समितियां बनाने और हटाने का फैसला ग्राम सभाएं करेंगी। अब तक आरोप लगते थे कि अप्रत्यक्ष रूप से वन विभाग इन समितियों का गठन किया जाता है। अब ये व्यवस्था ग्राम सभाएं संभालेंगी।

ओबीसी स्टूडेंट्स के लिए बनेंगे हॉस्टल

इंदौर जबलपुर शाजापुर आगर मालवा, दमाेह में पिछडा वर्ग कन्या व बालक छात्रावास निर्माण के लिए मंजूरी दी गई।

मोबाइल टॉवर लगाने जमीन आवंटन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के जिम्मे

मप्र में दूरसंचार सेवा प्रदाता, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को टावर लगाने में दिक्कत आती थी। अब जमीन देने का काम विज्ञान प्रौद्यागिकी विभाग के अधीन किया जाएगा। यह विभाग जमीन अलॉट करेगा इससे गांवाें में टावर आसानी से लग सकेंगे।

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