सागर/भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस का फोकस आदिवासियों के बाद दलितों की 16 फ़ीसदी आबादी पर है. यही वजह है कि संत रविदास का भी राजनीतिकरण हो गया है. एक तरफ जहां बीजेपी इस वोट बैंक को साधने के लिए पंचायत स्तर तक बड़े आयोजन करने की तैयारी में जुट गई है तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सागर में मेगा शो करने वाले हैं. कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में संत रविदास जयंती का कार्यक्रम ब्लॉक लेवल तक कर रही है.
सदर के कजली वन मैदान में कांग्रेस की विशाल आमसभा
पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ 16 फरवरी को सागर में रविदास जयंती के अवसर पर विशाल सभा को संबोधित करेंगे. यह सभा सागर के छावनी परिषद के कजली वन मैदान में आयोजित की गई है, जिसकी तैयारियां जोरों से चल रही है. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बुंदेलखंड के सभी जिलों के कांग्रेस नेता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. बुंदेलखंड के तमाम जिलों से कांग्रेसी नेता और समर्थक इस सभा में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे.
संतों के नाम पर- राजनीति काम पर!
बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों महापुरुषों की जयंती,पुण्यतिथि को जातिगत समीकरणों की नजर से देखते हुए मना रही हैं. पहले आदिवासियों के लिए बीजेपी सरकार ने आदिवासी जनजाति गौरव दिवस मनाया तो उसके बाद ओबीसी आरक्षण को दिलाने के लिए ओबीसी वर्ग के नेताओं से सीएम का सम्मान भी कराया और बकायदा बीजेपी ने खुद को ओबीसी हितेषी बताते हुए जन जागरण यात्रा भी निकाली. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संत रविदास जयंती को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर इसे मेगा शो बनाने की तैयारी में जुटे हैं. इस मौके पर बीजेपी संगठन बूथ स्तर तक भजन मंडली और कार्यक्रम करने जा रही है.
बुंदेलखंड में क़रीब 25 फ़ीसदी दलित
बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में आयोजित हो रहे रविदास जयंती के इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से दलितों पर फोकस किया जा रहा है. बुंदेलखंड के सभी 6 जिलों से भारी संख्या में दलितों को सागर में इकट्ठा करने की तैयारी है. बुंदेलखंड में बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति बसती है और संत रविदास के अनुयायी हैं. एक अनुमान के मुताबिक, बुंदेलखंड की कुल जनसंख्या का 25% दलितों की है. सागर में ही बीना और नरयावली एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीटें हैं. बुंदेलखंड के छतरपुर,टीकमगढ़, पन्ना, दमोह और निवाड़ी में भी बड़े पैमाने पर दलित वोटर्स हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए 2019 में भी सागर में रविदास जयंती कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं.
SC फैक्टर क्यों है अहम?
सवाल ये है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में अनुसूचित जाति का फैक्टर आखिर इतना अहम क्यों है. क्यों सरकार और विपक्ष को दलितों की याद आ रही है. दरअसल, राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें एससी कोटे से आती है. इन 35 सीटों का हाल देखें तो 2013 विस चुनाव में बीजेपी को 28 सीटें मिलीं, कांग्रेस-4 और बीएसपी- 3 सीट पर जीत मिली. 2018 में बीजेपी ने 18 सीटें जीती, कांग्रेस के पास 16 और एक बीएसपी के खाते में गई. वहीं 2020 उपचुनाव के बाद 35 सीटों में से बीजेपी के पास 23 सीट, कांग्रेस-11 और बीएसपी के खाते में 1सीट है. आबादी की बात करें तो एससी 15.60%, एसटी- 22%, ओबीसी- 52% हैं.
कांग्रेस-बीजेपी में क्रेडिट लेने की होड़
मध्य प्रदेश में 16 फ़ीसदी दलितों को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. साथ ही दोनों में होड़ भी मची है. दोनों पार्टियां एक दूसरे पर नकल करने का आरोप लगा रही है. मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हम तो महापुरुषों की जयंती हमेशा से मनाते हैं. कांग्रेस नकल कर रही है ये उनका चुनावी एजेंडा है. इधर कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने देश को आजाद कराया, बाबासाहेब अंबेडकर, नेहरू जी ने संविधान बनाया, संविधान बनाकर एससी-एसटी को उनको मूलभूत सुविधाएं दीं. बीजेपी तो इनके मौलिक अधिकारों को खत्म करना चाहती थी. सभी मामलों में बीजेपी कांग्रेस की नकल करती है.
हमारी संतों में आस्था-कांग्रेस
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ धर्म और संतों में आस्था रखते हैं. धर्म के नाम पर हम पाखंड नहीं करते हैं. इसी कड़ी में सागर में संत शिरोमणि रविदास महाराज की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ,जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शामिल होने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज कोई चुनाव नहीं है, लेकिन धार्मिक भावनाओं को ध्यान रखते हुए यह कार्यक्रम किया जा रहा है. ना कि बीजेपी के प्रपंच और पाखंड की तरह.
ये कांग्रेस का छलावा है- बीजेपी
इधर भाजपा के सागर जिला अध्यक्ष गौरव सिरोठिया का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ 16 फरवरी को संत रविदास की जयंती पर सागर आ रहे हैं. लेकिन मैं कमलनाथ से पूछना चाहता हूं कि 70 सालों में कांग्रेस और कमलनाथ ने अनुसूचित जाति वर्ग के साथ जो छलावा किया और केवल उनकी वोटों का उपयोग करती रही. आज जब कहीं भी उनका भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है, तो आज फिर अनुसूचित जाति वर्ग और संत रविदास की कांग्रेस को याद आने लगी है. मैं अनुसूचित जाति वर्ग के भाइयों से आग्रह करूंगा कि वह कांग्रेस के छलावे में ना आएं.