प्रयागराज : तम्बुओं और आस्था की नगरी कुंभ में वैभव के साथ साथ सांसारिक मोह-माया त्यागने के बाद भी कई साधु संत महात्मा प्रयागराज में करोड़ों अरबों फूंककर राजसी ठाट बाट और अपने वैभव का प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसी कुंभ में कई ऐसे संत हैं जो वास्तव में संगम की रेती पहुंचकर जप तप में विश्वास कर रहे हैं. पतित पावनी मां गंगा की गोद में व्यतीत करते हैं ढाई घंटे
कुंभ मेला के सेक्टर पांच खाक चौक स्थित विनैका बाबा के शिविर में एक ऐसे संत हैं, जो हर दिन पतित पावनी गंगा में लगभग ढाई घंटे खड़े होकर श्रीरामचरित मानस के पांचवें अध्याय सुन्दर कांड और 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. श्रीमदजगद्गुरु पीठाधीश्वर स्वामी रामसुभग दास देवाचार्य महाराज (विनैका बाबा) के कृपापात्र शिष्य स्वामी जय प्रकाश दास जी महाराज पिछले कई बरस से गंगा में ढाई घंटे गले तक डूबे रहकर सुन्दर कांड का पाठ और 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ हर रोज करते हैं.
विनैका बाबा बताते हैं कि जय प्रकाश दास जी महाराज बचपन से ही सूर हैं और पिछले कुंभ, अर्द्धकुंभ और प्रयाग में लगने वाले माघ माह में संगम तट पर आ रहे हैं. जहां वह प्रतिदिन भोर में गंगा तट पर पहुंचकर जप तप करते हैं. स्वामी जय प्रकाश दास जी महाराज ने बताया कि वह मूलतः छतरपुर मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. पिछले अर्द्धकुंभ में भी प्रयाग आए थे. उनका कहना है कि वह भोर में ही गंगा के तट पर जाते हैं और पतित पावनी मां गंगा में खड़े रहकर तप करते हैं. वहीं इसी कुंभ में कई ऐसे महात्मा हैं जो आलीशान शिविरों में करोड़ों रुपये खर्च कर आरामतलब जीवन व्यतीत कर रहे हैं. कई ऐसे शिविर भी हैं जहां ऑडी और मर्सिडीज जैसी गाड़ियां खड़ी मिलती हैं.