इंदौर: न्यायालयों में प्रत्यक्ष (आमने-सामने) सुनवाई शुरू करने को लेकर वकील एकजुट होने लगे हैं। वकीलों का कहना है कि आनलाइन सुनवाई होने से मामलों की सुनवाई अनावश्यक रूप से टल रही है। इसका सीधा असर प्रकरणों पर पड़ रहा है। लंबित मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के संबंध में चीफ जस्टिस को पत्र लिख चुका है। अब इंदौर अभिभाषक संघ (जिला न्यायालय) भी न्यायालयों को पूरी क्षमता से खोले जाने के पक्ष में उतर आया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर वकील इसके पक्ष में हैं।
गौरतलब है कि मार्च 2020 के बाद से ही न्यायालयों में पूर्ण क्षमता से कामकाज नहीं हो पा रहा है। पहली और दूसरी लहर में लंबे समय तक लाकडाउन लगा और न्यायालय पूरी तरह से बंद रहे। दूसरी लहर खत्म होने के बाद कुछ समय के लिए कामकाज शुरू भी हुआ लेकिन सिर्फ अर्जेंट मामले सुने लगे। न्यायालयों में पूर्ण क्षमता से कामकाज शुरू होता इसके पहले ही तीसरी लहर ने दस्तक दे दी। कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़तरी के बाद न्यायालयों का कामकाज एक बार फिर प्रभावित हुआ और सिर्फ उन्हीं मामलों में सुनवाई शुरू हुई जो या तो 10 साल से ज्यादा पुराने थे या जिनमें हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी किए थे।
वकीलों का कहना है कि प्रत्यक्ष सुनवाई नहीं होने की वजह से पक्षकार न्यायालय तक नहीं आते। इसका सीधा असर वकीलों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। पहली और दूसरी लहर के मुकाबले तीसरी लहर में संक्रमण गंभीर नहीं है। कोरोना के मरीजों की संख्या भले ही ज्यादा हो लेकिन ज्यादातर लोगों को कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालयों को नियमित कामकाज शुरू कर देना चाहिए।