पाकिस्तान की कूटनीतिक अक़्ल पर परदा पड़ गया है। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान एक के बाद एक देशों से झटका खा रहे हैं। अपनी आख़िरी सांस तक लड़ना चाहते हैं। यह लड़ाई उनके लिए कितनी फायदेमंद है। पाकिस्तान का हर सोचने-समझने वाला इंसान भी इमरान के रवैए से सहमत नहीं है।
चार सितंबर को श्रीलंका के कोलंबो में यूनिसेफ़ की बैठक के दौरान भारत के संसद गौरव गोगोई और संजय जायसवाल ने पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल को आईना दिखाया। बाल-अधिकार समझौते पर दक्षिण एशियाई संसदीय सम्मेलन के तहत बौखलाए पाकिस्तान ने इस ग़ैर राजनीतिक मंच का सियासी इस्तेमाल किया।
जिस देश में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने को इस्लाम के ख़िलाफ़ माना जाता हो, अफ़ग़ान सीमा पर बच्चे बंदूक -संस्कृति और कारोबार में पलते बढ़ते हों, किशोरी मलाला को हक़ की बात करने पर गोली मार दी जाती हो, वह अपने बच्चों की चिंता छोड़ कश्मीर की चिंता करे यकीनन सारी दुनिया के लिए यह ताज्जुब की बात है।
अब भारतीयों की मांग है कि ब्रिटेन में बसे पाकिस्तानियों को देश से बाहर खदेड़ दिया जाए और उनका वीज़ा रद्द किया जाए। – फोटो : social mediaसम्मेलन में जब पाकिस्तानियों ने कश्मीर में मानव अधिकारों की बात की तो गौरव गोगोई ने उन्हें बताया कि उनके मुल्क़ में अल्पसंख्यकों की कितनी ख़राब स्थिति है। पिछले सप्ताह एक सिख लड़की का जबरन निक़ाह करा दिया गया। इसी तरह ईश निंदा क़ानून पाकिस्तान के नाम पर किस तरह कलंक है – यह भी भारतीय प्रतिनिधियों ने बता दिया।
आपको याद होगा कि इससे तीन दिन पहले मालदीव में दक्षिण एशियाई संसदीय सभापतियों के शिखर सम्मलेन में पाकिस्तान ने उस मंच का दुरुपयोग किया था। पाकिस्तानी संसद के प्रतिनिधिमंडल ने संसदीय मसलों को ताक में रखकर जम्मू-कश्मीर पर शोर शराबा किया था। ऊल-जलूल कुतर्कों के ज़रिए पाकिस्तानी नेताओं ने अपने अज्ञान का ढिंढोरा पीटा।
भारत ने उसका करारा जबाव दिया था। मालदीव की संसद के अध्यक्ष ने तो पाकिस्तान से साफ़ कहा कि द्विपक्षीय मामले यहां नहीं उठाए जाएंगे और न ही यह सम्मेलन का मुद्दा है। शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में इसका ज़िक्र करने की पाकिस्तान की मांग भी खारिज कर दी गई। यहां तक कि पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने कश्मीर के बारे में जो भी कहा ,उसे कार्रवाई से निकाल दिया गया।
दो दिन पहले ब्रिटेन के लन्दन में भारतीय उच्चायोग की इमारत पर पाकिस्तानियों ने हमला कर दिया और शीशे तोड़ दिए। उन्होंने नारे लगाए और हिन्दुस्तान के इस आला दफ़्तर के काम में बाधा पहुंचाई। लंदन के मेयर पाकिस्तानी मूल के सादिक़ खान हैं। उन्होंने इसकी पुरज़ोर निंदा की और मामला पुलिस को सौंप दिया। सादिक़ ख़ान ने कहा लन्दन में इस तरह की हरकत नाक़ाबिले बर्दाश्त है।
ग़ौरतलब है कि पंद्रह अगस्त को भी वहां इसी तरह का विरोध प्रदर्शन हुआ था। भारत ने ब्रिटेन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई का अनुरोध किया है। किसी भी देश में अन्य मुल्क़ों के राजनयिकों की हिफाज़त संबंधित देश के लिए अत्यंत संवेदनशील मुद्दा होती है। इस नाते ब्रिटेन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है।
अब भारतीयों की मांग है कि ब्रिटेन में बसे पाकिस्तानियों को देश से बाहर खदेड़ दिया जाए और उनका वीज़ा रद्द किया जाए। दूसरे देश के लोगों को ब्रिटेन की शांति भंग करने का हक़ नहीं दिया जा सकता। पाकिस्तान इन दिनों जिस तरह से विवेक शून्य कार्रवाई कर रहा है , वह इस बात का सुबूत है कि उसकी प्राथमिकता अपनी हालत सुधारना नहीं ,बल्कि अन्य देशों में अशांति फैलाना है। कोई भी सभ्य देश इसे कैसे स्वीकार कर सकता है।
वरिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल की कलम से