नई दिल्ली : यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नई दिल्ली में बीजेपी नेताओं की बैठक बेहद महत्वपूर्ण रही. दिन भर चले घटनाक्रम का तापमान बैठक में दिखाई दिया लेकिन सूत्रों की मानें तो मौर्य के इस्तीफे के बावजूद पार्टी हाईकमान ने यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि एक सीमा तक ही किसी नेता की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी की बैठक में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल सहित बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के मुख्यालय में पूरे दिन मंथन किया. सूत्रों ने बताया कि चुनाव पर बुलाई गई इस बैठक में पार्टी के नेताओं ने राज्यवार पदाधिकारियों और प्रभारियों से एक-एक करके रिपोर्ट ली. साथ ही पार्टी के कैंपेन, संगठन की स्थिति और माहौल पर क्रमवार समीक्षा की गई.
पूरे दिन चली समीक्षा बैठक में बीजेपी के आला नेताओं ने पार्टी के प्रदेश नेताओं से यह भी जानने की कोशिश की है कि भारतीय जनता पार्टी की जमीनी स्थिति और संगठन की तैयारी क्या है? सूत्रों की मानें तो कल भी यह बैठक जारी रहेगी और 13 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में संपन्न होगी. उसी दिन पार्टी के उम्मीदवारों पर भी चर्चा की जाएगी.
हालांकि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की यह बैठक बुलाई तो गई थी समीक्षा और प्रदेश में चुनाव के माहौल, संगठन की स्थिति को जानने के लिए लेकिन इस बीच कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित के तीन विधायकों के इस्तीफे ने पार्टी मुख्यालय में हलचल मचा दी. सूत्रों की मानें तो पिछले एक साल से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से असंतुष्ट थे. यही वजह रही कि गाहे-बगाहे उन्होंने कई बयान ऐसे भी दिए जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ थे.
यही नहीं उनके इस्तीफे की वजह पार्टी यह भी है कि वह अपने बेटे के लिए भी टिकट मांग रहे हैं. जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य पार्टी से सांसद हैं. बीजेपी की नीति और नियमों के अनुसार परिवारवाद को बढ़ावा देना पार्टी के लिए संभव नहीं है. इसी से नाराज होकर अंततः उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामना ही उचित समझा.
आनन-फानन में आई इस खबर के बाद पार्टी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को स्वामी प्रसाद मौर्य से बातचीत के लिए अधिकृत जरूर किया लेकिन फिलहाल यह उम्मीद नजर नहीं आ रही कि स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी में वापस आ सकते हैं. यही नहीं पार्टी के कुछ नेताओं ने दबी जुबान से स्वामी प्रसाद मौर्य की तीखी आलोचना भी शुरू कर दी है. अंदर खाने से खबर यह भी आ रही है कि पार्टी हाईकमान ने अपने नेताओं से यह कह दिया है कि एक हद तक ही मौर्य को मनाने की कोशिश करें क्योंकि पार्टी कोई भी अनुचित मांग मानने को तैयार नहीं है.