कान्हा टाइगर रिजर्व पर लाल आतंक का साया! देसी-विदेशी सैलानी ही नहीं नक्सलियों की भी पहली पसंद

मंडला मध्यप्रदेश

मंडला। जब भी टाइगर की बात होती है तो कान्हा नेशनल पार्क का जिक्र जरूर हो जाता है. कान्हा नेशनल पार्क देश के बड़े नेशनल पार्कों और घने जंगल के लिए प्रसिद्ध है. टाइगर स्टेट का खिताब अपने नाम करने वाले मध्यप्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व विदेशी सैलानियों की पहली पसंद है. नक्सलियों के विस्तार दलम ने साल 2021 की शुरुआत में कान्हा नेशनल पार्क के कोर और बफर एरिया को बेस कैंप बनाने का फैसला किया था. सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई और नक्सलियों के पांव जमने से पहले ही उन्हें खदेड़ दिया.

Naxalites wanted captured Kanha Tiger Reserve in Madhya Pradesh in 2021

इस एरिया में काफी घना जंगल है. आम लोगों की आवाजाही भी यहां नहीं रहती है. इसके अलावा पहाड़ी इलाका होने की वजह से मोबाइल टावर या नेटवर्क भी नहीं रहता है. ऐसी स्थिति में अगर पुलिस नक्सलियों के ग्रुप को घेर ले तो भी फायरिंग नहीं कर सकती क्योंकि जंगली जानवरों के मरने की आशंका बनी रहती है. इन्हीं सुविधाओं को देखते हुए विस्तार दलम ने कान्हा नेशनल पार्क के कोर और बफर जोन को बेसकैंप बनाने की कवायद शुरू की थी.

Naxalites wanted captured Kanha Tiger Reserve in Madhya Pradesh in 2021
कान्हा टाइगर रिजर्व में मस्ती करते बाघ

पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र

सतपुड़ा के जंगल में मंडला और बालाघाट जिले की सीमा में 940 स्क्वेयर किलोमीटर एरिया में फैले कान्हा नेशनल पार्क में 100 से ज्यादा टाइगर मौजूद हैं, जिनमें 50 के करीब नर और इतनी ही मादा हैं. यहां बाघों का दीदार आसानी से हो जाता है. यहां के बाघ इंसानों के करीब आकर उनका भरपूर मनोरंजन भी करते हैं. यहां के मुन्ना और छोटा मुन्ना टाइगर के लोग दिवाने हैं. खास बात ये है कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के लिए विख्यात कान्हा पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

Naxalites wanted captured Kanha Tiger Reserve in Madhya Pradesh in 2021
बाघों के घर में नक्सलियों की दस्तक!

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को 1879 में एक आरक्षित वन घोषित कर दिया गया था, इसके बाद 1933 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में इसका पुनर्मूल्यांकन किया गया. फिर 1955 में यह एक राष्ट्रीय पार्क बना. कान्हा नेशनल पार्क का कान्हा टाइगर रिजर्व 108 बाघों के साथ देश में दूसरे नंबर पर है. यहां 100 के करीब बाघ हैं और एक बाघ को करीब 25 किलोमीटर क्षेत्र चाहिए होता है, इस लिहाज से 2500 किलोमीटर का क्षेत्र होना चाहिए. क्षेत्र कम होने से यहां के बाघ दूसरे जंगलों की तरफ रूख करते हैं और यही वजह है कि इनकी संख्या अस्थिर होती रहती है.

Naxalites wanted captured Kanha Tiger Reserve in Madhya Pradesh in 2021

कान्हा टाइगर रिजर्व पर लाल आतंक का साया!

जंगल सफारी का अलग ही मजा

माना जाता है कि सर्दियों में यहां जंगल सफारी का अलग ही मजा है. अगर आप भी जंगल सफारी का मजा लेना चाहते हैं तो आपके लिए कान्हा नेशनल पार्क बेस्ट जगह है. यहां बंगाल टाइगर की अच्छी खासी आबादी है, जिसके करण जंगल सफारी के दौरान यहां बाघ दिखने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा यहां बारहसिंघा भी खूब हैं. चीता, बाघ, चीतल, बार्किंग डियर, गौड़ और पक्षियों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं. यही वजह है कि देसी से लेकर विदेशी पर्यटक यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

नए साल में बाघों का दीदार

नए साल के शुरूआती हफ्ते में ज्यादातर टाइगर रिजर्व सैलानियों के लिहाज से फुल हो चुके हैं. कान्हा टाइगर रिजर्व की 7 जनवरी तक बुकिंग फुल है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 जनवरी तक बुकिंग फुल है.

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