भोपाल : भोपाल के लाल परेड ग्राउन्ड में 22 से 26 दिसम्बर 2021 तक हुए 8वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में 87 लघु वनोपज प्रजातियों से बनी वन औषधियों के तकरीबन 14 करोड़ रूपए के एमओयू किए गए। इसके पहले अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में हुए एमओयू की तुलना में इस बार सर्वाधिक एमओयू रिकार्ड बना है। इसके पहले तक अधिकतम साढ़े पॉच करोड़ रूपये के एमओयू हुए थे। यह उपलब्धि स्वास्थ्य क्षेत्र में वनोपज उत्पादों के बढ़ते योगदान के साथ ही इस वर्ष मेले की थीम “लघु वनोपज से स्वास्थ सुरक्षा” की प्रासंगिकता की पुष्टि भी करती है।
अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। पाँच दिन चले मेले में रोजाना 20 हजार लोगों ने मेले में लगे 300 स्टाल में प्रदर्शित हर्बल उत्पादों, जड़ी-बूटियों और अन्य उत्पादों की खरीददारी की। मेले में प्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखण्ड़, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड एवं राजस्थान राज्य के वन उत्पादकों के स्टाल महत्वपूर्ण थे।
डेढ़ करोड़ से ज्यादा के वनोपज उत्पादों की बिक्री
वन मेले में आए लगभग डेढ़ लाख लोगों ने एक करोड़ 55 लाख रूपये के वनोपज उत्पादों की खरीददारी की। ज्यादातर इम्यूनिटी सुदृढ़ करने वाले उत्पादों की बिक्री हुई। मेला अवधि में चिकित्सीय परामर्श के लिए ओपीडी के 21 स्टॉल में 120 आयुर्वेद डॉक्टर्स/वैद्यों द्वारा नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श दिया गया। पाँच हजार लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जाँच कराकर परामर्श लिया।
“लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा” कार्यशाला रही सार्थक
कोरोना महामारी की स्थिति के दृष्टिगत दो दिवसीय कार्यशाला का विषय “लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा” रखा गया। कार्यशाला में भूटान,नेपाल,बंगलादेश, फिलिपीन और थाईलैण्ड के औषधि विशेषज्ञों के साथ प्रदेश के और अन्य राज्यों के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखने के अलावा लघु वनोपज के चिरस्थायी विदोहन के लिए संग्रहणकर्ता, पारम्परिक पद्धति से उपचारकर्ता एवं वैद्यों-विशेषज्ञों के साथ सार्थक संवाद किया। कार्यशाला में सार्थक अनुशंसाओं के साथ प्रस्तुत घोषणा-पत्र में वनोपज के मूल्य का अधिक लाभ हितग्राहियों को दिलाने के साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री वन-धन योजना और देवारण्य से जोड़ने और स्थानीय स्तर पर संग्राहकों को प्र-संस्करण में उपकरण की सहायता आदि महत्वपूर्ण विषय का समावेश किया गया।
113 व्यापारियों ने किया संवाद
पाँच दिवसीय मेले में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन भी हुआ। इसमें 113 व्यापारियों को संवाद का एक व्यापार मंच उपलब्ध कराया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रही धूम
मेला अवधि में रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका पद्मश्री सुश्री अनुराधा पौड़वाल, सुप्रसिद्ध गजल गायक पदमश्री अनूप जलोटा, सूफी गायक जांजीम शर्मा की प्रस्तुति ने देर रात तक दर्शकों को बांधे रखा। झाबुआ और डिन्डौरी जिले के जनजातीय लोकनृत्य और लोकगीत आकर्षण के केन्द्र रहे। स्कूली बच्चों द्वारा विभिन्न विषय पर केन्द्रित चित्रकला, गायन, फैन्सी ड्रेस, नुक्कड़ नाटक और नृत्य के कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।
वन मेले का समापन राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया। राज्यपाल ने कहा कि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना के दौरान दुनिया ने आयुर्वेद के महत्व को पहचाना है। राज्यपाल ने आयुर्वेद चिकित्सकों और वन अधिकारियों से वनांचलों में जाकर सिकल सेल रोग के लिए औषधियाँ और उपचार खोजने का आव्हान किया।