नई दिल्ली. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारत रत्न मदर टेरेसा के संगठन मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित बैंक खातों को शनिवार-क्रिसमस के दिन बंद किए जाने की खबरों पर हैरानी जताई है. हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि कानून को लागू करना महत्वपूर्ण था और मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही ममता बनर्जी ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि 22000 रोगियों और कर्मचारियों को बिना भोजन और दवाओं के छोड़ दिया.
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि यह सुनकर स्तब्ध हूं कि क्रिसमस पर, केंद्रीय मंत्रालय ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के भारत में सभी बैंक खातों को बंद (फ्रीज) कर दिया! उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया है. जबकि कानून सर्वोपरि है, मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. इस संबंध में अभी केंद्र या गृह मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. वहीं, मिशनरीज ऑफ चैरिटी संगठन के अधिकारियों ने इस समय टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. दरअसल विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम, या एफसीआरए के तहत खोले गए बैंक खातों के फ्रीज होने के कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हैं.
इस महीने की शुरुआत में समाचार एजेंसी एएफपी ने कहा था कि गुजरात में पुलिस जांच कर रही है कि क्या मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने अपने आश्रय गृह में लड़कियों को क्रॉस पहनने और बाइबिल पढ़ने के लिए मजबूर किया था. इस बारे में जिला सामाजिक अधिकारी मयंक त्रिवेदी ने एएफपी को बताया था कि उनकी पुलिस शिकायत, बाल कल्याण अधिकारियों और अन्य जिला अधिकारियों की एक रिपोर्ट पर आधारित थी. शिकायत के अनुसार संस्थान के पुस्तकालय में 13 बाइबलें मिलीं और वहां रहने वाली लड़कियों को धार्मिक पाठ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया था. इन आरोपों को मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने खारिज कर दिया है.
मिशनरीज ऑफ चैरिटी, जिसकी स्थापना 1950 में मदर टेरेसा द्वारा की गई थी. वे एक रोमन कैथोलिक नन थी, जो अपने जीवन के अधिकांश समय कोलकाता में रहीं और समाज सेवा का काम करते हुए उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार जीता.