भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लिया है, इसके मुताबिक चुनाव प्रक्रिया समय पर संपन्न होगी, मगर नतीजे घोषित नहीं किए जाएंगे. ऐसा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव नहीं होने के कारण हो रहा है. राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निदेर्शानुसार त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन में सभी पदों के लिये मतगणना का सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा संबंधी कार्रवाई स्थगित रहेगी. इस संबंध में आयोग द्वारा अलग से निर्देश दिये जायेंगे. आयोग के इस फैसले पर कांग्रेस ने एतराज जताया है और इसे असंवैधानिक बताते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.
स्थगित रहेंगे पंचायत चुनाव के परिणाम
जामोद ने बताया कि आयोग द्वारा जारी निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार पंच और सरपंच के लिये मतदान केन्द्र और विकास खंड मुख्यालय पर की जाने वाली मतगणना तथा जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के लिए विकास खंड मुख्यालय पर ईवीएम से मतगणना की जाएगी. मतगणना से संबंधित समस्त अभिलेख उपस्थित अभ्यर्थियों और अभिकतार्ओं की उपस्थिति में सील बंद कर सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जाएंगे. किसी भी पद पर निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति निर्मित होने पर रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अभ्यर्थी को न ही निर्वाचित घोषित किया जाएगा और न ही निर्वाचन का प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा. इस आदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी जिला निर्वाचन अधिकारियों को दिये गये हैं.
ओबीसी आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करे सरकार
अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित की गई है, चुनाव प्रक्रिया को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि अब राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतगणना के सारणीकरण व निर्वाचन परिणामों की घोषणा संबंधी कार्रवाई को स्थगित कर दिया है. पता नहीं प्रदेश में पंचायत चुनावों पर असमंजस और अनिश्चितता कब समाप्त होगी. सरकार ने सदन में विश्वास दिलाया था कि बगैर ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होंगे, नित नए आदेशों से असमंजस का माहौल बढ़ता जा रहा है. सरकार स्थिति स्पष्ट करे कि वह आखिर चाहती क्या है, सरकार ओबीसी आरक्षण पर क्या कदम उठाने जा रही है, न्यायालय कब जा रही है, क्या निर्णय ले रही है?
राज्य निर्वाचन आयोग का फैसला असंवैधानिक
वहीं कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने निर्वाचन आयोग के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार गांधी के विचारों को दरकिनार कर मनमर्जी चला रही है, पंचायत के पूरे चुनाव एकसाथ कराए जाने चाहिए और परिणाम भी एक साथ ही जारी किया जाना चाहिए, जब तक ओबीसी आरक्षण का विवाद नहीं सुलझता, तब तक के लिए पंचायत चुनाव को टाल देना चाहिए. पंचायत चुनाव को लेकर सस्पेंस गहराता ही जा रहा है क्योंकि ओबीसी आरक्षण पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. राज्य निर्वाचन आयोग ने फिलहाल चुनाव परिणामों पर रोक लगा दी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि चुनाव तो तय समय पर ही होंगे, लेकिन उसके परिणाम और हार-जीत की घोषणा फिलहाल नहीं होगी. कांग्रेस का कहना है कि सरकार पहले ही नहीं चाहती थी कि चुनाव हो, ऐसे में वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, इसको लेकर कांग्रेस सदन में भी विरोध जताएगी.