चक्रवात जवाद का दिखाई देने लगा असर, भुवनेश्वर सहित राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश शुरू हो गई

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भुवनेश्वर । चक्रवात जवाद का असर शनिवार ओडिशा में महसूस हुआ है, क्योंकि राजधानी भुवनेश्वर सहित राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश शुरू हो गई है।चक्रवात के चलते शनिवार को राज्य के 19 जिलों के स्कूल बंद रहे। भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि हवा की गति 70-80 किमी प्रति घंटे से लेकर 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी और रविवार तक राज्य के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इसके अतिरिक्त, आईएमडी ने कहा कि वह जवाद को ‘गंभीर चक्रवाती तूफान’ में अपग्रेड नहीं करेगा, यह ‘चक्रवाती तूफान’ बना रहेगा।
बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना गहरा अवदाब चक्रवात ‘जवाद’ में तब्दील हो गया है और इसके रविवार को ओडिशा में पुरी के पास पहुंचने की संभावना है।मौसम विभाग ने कहा है कि चक्रवात से जो इलाके सर्वाधिक प्रभावित होंगे, उनमें उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापत्तनम जिले तथा ओडिशा के गजपति, गंजाम, पुरी, नयागढ़, खुर्दा, कटक, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जिले शामिल हैं। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि चक्रवात के शनिवार को सुबह उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा तट के पास पश्चिमी-मध्य बंगाल की खाड़ी पहुंचने की संभावना है। इसके बाद यह ओडिशा और निकटवर्ती आंध्र प्रदेश के तट के पास उत्तर-पूर्वोत्तर की ओर बढ़ेगा और पांच दिसंबर को दोपहर तक पुरी के आसपास के तट पर पहुंचेगा।  चक्रवात का नाम जवाद सऊदी अरब ने प्रस्तावित किया है।
वहीं हवा की गति रविवार को सुबह से अगले 12 घंटों तक 80 किमी प्रति घंटा हो सकती है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अधिकारियों ने चक्रवाती तूफान से पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिए 64 टीम दी है। 46 टीम राज्य में जोखिम वाले इलाकों में तैनात की गई है, या वहां तैयार रखी गई हैं, जबकि 18 टीम को रिजर्व रखा गया है। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भी चक्रवात से निपटने के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों तथा एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा को लेकर राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीप समूहों के मुख्य सचिवों व वरिष्ठ अधिकारियों ने समिति को समुद्र से मछुआरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की कोशिशों से अवगत कराया। एक बयान में बताया गया है कि चक्रवात राहत शिविर बनाए गए हैं तथा निचले इलाकों से लोगों को हटाया जा रहा है।

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