इंदौर:मध्यप्रदेश का इंदौर जिला लगातार पांचवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने जा रहा है। शुक्रवार को दिल्ली में हुई रिहर्सल से यह स्पष्ट हो चुका है। शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली के विज्ञान भवन में इंदौर को नंबर वन शहर, 12 करोड़ का सफाई मित्र और 5 स्टार रेटिंग अवाॅर्ड देंगे।
रिहर्सल में सबसे पहले इंदौर फिर सूरत और विजयवाड़ा को रखा गया। सफाई मित्र इंदिराबाई आदिवाल का भी सम्मान होगा। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा, कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल, अपर आयुक्त संदीप सोनी, एसई महेश शर्मा रिहर्सल में शामिल हुए।
पहली बार 160 करोड़ खर्च हुए थे, अब सिर्फ 50 करोड़ सालाना
पहली बार गाड़ियां खरीदने और ट्रांसफर स्टेशन बनाने के कारण कचरा प्रबंधन पर 160 करोड़ खर्च करना पड़े थे। अब यह खर्च सालाना 50 करोड़ पर आ गया है। पिछले साल हमने 90% कचरा प्रबंधन शुल्क वसूला, जो 45 करोड़ था। हमारे गीले कचरे की गुणवत्ता 95% है, ऐसा जर्मनी में भी नहीं।
कचरे से 20 करोड़ कमा रहे, तीन साल में 100 करोड़ पार होंगे
इंदौर कचरे से अभी 20 करोड़ रुपए सालाना कमा रहा है। इसमें कार्बन क्रेडिट, सीएनजी, कम्पोस्ट खाद, सीएनडी वेस्ट व सूखे कचरे से हो रही आमदनी शामिल है। एक्सपर्ट का मानना है कि जिस तेजी के साथ इंदौर कचरा प्रबंधन पर काम कर रहा है, आने वाले तीन साल में ही कचरे से हमारी कमाई 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी।
इसलिए हैं पूरे देश में हम नंबर वन
- 45 करोड़ रुपए कचरा प्रबंधन के लिए जनता दे रही
- 137 किमी नदी-नालों की सफाई पर 343 करोड़ खर्च
- 1200 टन कचरे का रोज निपटान कर रहा है इंदौर
- 11364 सफाई मित्रों के हवाले है शहर की व्यवस्था
इकोनॉमी पर असर: 1.74 लाख करोड़ हुई GDP
सफाई में सतत अच्छे प्रदर्शन से इंदौर बड़े ब्रांड के रूप में उभरा है। पांच वर्षों में इंदौर की जीडीपी 1.74 लाख करोड़ तक जा पहुंची है। निवेश का आंकड़ा भी 30 हजार करोड़ हो गया है। आईआईएम चेयरमैन डाॅ. हिमांशु राय के मुताबिक यही गति रही तो 5 साल में डेढ़ से दो गुना बढ़ जाएगी इंडस्ट्री। इंदौर देश के सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले शहरों में शुमार होगा।
- 70 हजार करोड़ हुआ सालाना कारोबार
- 800 एकड़ जमीन मांगी है शीर्ष उद्योग घरानों ने
- 06 लाख लोगाें को सीधे रोजगार दे रहे उद्योग
3 से 5 साल में डेढ़ गुना तक पहुंच सकती है उद्योगों की संख्या
1. मार्च 2021 में इंदौर को देश के म्युनिसिपल परफॉर्मेंस इंडेक्स में पहली रैंक व ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में 9वां स्थान मिला। इसके पहले हम टॉप 20 में भी कहीं नहीं होते थे।
2. हैदराबाद व पुणे के बाद इंदौर निगम ने बॉण्ड को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के डेब्ट सिक्योरिटीज प्लेटफॉर्म पर लिस्ट किया। 70 करोड़ के ग्रीन शू विकल्प के साथ 100 करोड़ के बॉण्ड जारी किए।
3. पांच साल में इंदौर की जीडीपी 1.74 लाख करोड़ पर पहुंची। इसमें करीब तीन गुना का बदलाव दर्ज किया गया। पूरे मप्र में हम सबसे ऊपर और कुल हिस्सेदारी 19 फीसदी हुई।
4. देश के सारे बड़े उद्योग समूह इंदौर आने को तैयार, मप्र में 7 इन्वेस्टर समिट हुई, 6 इंदौर में। इंडस्ट्री में निवेश 30 हजार करोड़ पर पहुंचा, जो 5 साल पहले 10 हजार करोड़ था।
सेहत पर प्रभाव: मलेरिया-डायरिया के केस में 80 फीसदी की कमी
नदी की सूरत बदलने से शहर की सेहत भी बदल गई है। नदी किनारे रहने वाले लोगों में पानी से जुड़ी बीमारियों के मामलों में जबरदस्त गिरावट आई है। चंदननगर, विराटनगर, आजादनगर, मूसाखेड़ी और पीलियाखाल के डॉक्टर्स, संजीवनी केंद्र, सिविल डिस्पेंसरी पर की गई पड़ताल में खुलासा हुआ कि इन इलाकों में गंदे पानी से होने वाली बीमारियों में 80 फीसदी तक की कमी आई है।
विराटनगर: डॉ. राजेश कुमार और डॉ. कमल गुर्जर बताते हैं कि पहले रोज 20 से 25 मरीज डायरिया आदि के आते थे, अब 3 केस आते हैं। मलेरिया के तो सप्ताह में एक-दो केस ही आते हैं।
चंदननगर: सिरपुर के डॉ. बिंदु कुमार जैन व डॉ. खालिदा कुरैशी बताती हैं कि जल जनित बीमारियों के पहले 30 से ज्यादा मरीज रोज आते थे, अब 3 से 5 रह गए हैं। मलेरिया न के बराबर रह गया है।
आजादनगर: डॉ. नाजीम हुसैन बताते हैं कि रोज 100 से ज्यादा पेशेंट डायरिया, टाइफाइड व मलेरिया के आते थे। जब से नाला साफ हुआ है 25 से ज्यादा केस एक दिन में नहीं आए।
पीलिया खाल: सीताराम पार्क के डॉ. जीवन अग्रवाल कहते हैं कि मलेरिया, डायरिया के पहले 15 से ज्यादा केस आते थे, अब 5 ही आते हैं। उल्टी-दस्त के केस 80% तक कम हो गए हैं।
मूसाखेड़ी: शाहीनगर मूसाखेड़ी के डॉ. बीएस सेन बताते हैं कि डेंगू के केस मिल रहे हैं लेकिन मलेरिया, टाइफाइड और डायरिया के साथ गैसटेंटराइटिस के केस एक तिहाई रह गए हैं।