इजरायल से अवाक्स और डर्बी मिसाइल डील संभव,नेतन्याहू सितंबर में भारत आएंगे

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की 7 या 8 सितंबर को मोदी से मुलाकात संभव,इजरायल में 17 सितंबर को आम चुनाव, प्रचार में नेतन्याहू के साथ मोदी के पोस्टर लगाए गए ,भारत के पास अभी 5 अवाक्स, 2 और अवाक्स सिस्टम खरीदने की तैयारी में वायुसेना

नई दिल्ली. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सितंबर के दूसरे हफ्ते में भारत आएंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) और एयर-टू-एयर डर्बी मिसाइल डील संभव हो सकती है। इजरायल में 17 सितंबर को ही आम चुनाव हैं और इसके लिहाज से नेतन्याहू का भारत दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

भारतीय वायुसेना डर्बी मिसाइलों की आवश्यकता पहले ही जाहिर कर चुकी है और नेतन्याहू के इस दौरे में अवाक्स और डर्बी के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदों की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा कृषि, जल संवर्धन और वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े समझौतों को भी फाइनल किया जा सकता है।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन कर सकते हैं नेतन्याहू
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के वरिष्ठ राजनयिकों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर यह बताया कि वहां की एक एडवांस सिक्युरिटी टीम 2 सितंबर को ही दिल्ली पहुंच जाएगी। वह दोनों नेताओं की मुलाकात के लिए आधार तय करेगी। अभी यह तय नहीं है कि मोदी और नेतन्याहू की मुलाकात किस तारीख को होगी। लेकिन, उम्मीद जाहिर की जा रही है कि 7 या 8 सितंबर को दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हो सकती है। राजनयिकों का मानना है कि इस दौरान नेतन्याहू मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन करेंगे।

पाकिस्तान के पास 7 चीनी अवाक्स
भारत के पास फिलहाल 5 अवाक्स सिस्टम हैं। भारत की योजना 2 और अवाक्स खरीदने की है, जिन्हें वह रूसी विमान ए-50 पर लगाना चाहता है ताकि युद्ध की स्थिति में भारत की स्थिति मजबूत हो सके। इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार है। पाकिस्तान के पास इस तरह के 7 सिस्टम हैं और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद वह लगातार इनका इस्तेमाल कर रहा है। एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने 27 फरवरी को 70 किलोमीटर तक मार करने वाली एआईएम-120 सी मिसाइल का इस्तेमाल किया था। उधर, वायुसेना डर्बी मिसाइल का अपग्रेडेड वर्जन अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट्स के लिए चाहती है। बढ़ी हुई रेंज वाली इन मिसाइलों की मदद से युद्ध की स्थिति में पड़ोसी देश के लड़ाकू विमानों को उन्हीं की सीमा में मार गिराया जा सकता है। दोनों देश डीआरडीओ में इस पर संयुक्त रूप से भी काम कर रहे हैं।

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