उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम मोदी और शाह की मौजदूगी में आडवाणी ने कटा केक, पुरानी यादें हुई ताजा

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नई दिल्ली । देश के उपप्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर कई अहम पदों पर रहे लालकृष्ण आडवाणी का सोमवार को 94वां जन्मदिन है।इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, गृहमंत्री अमित शाह सहित कई दिग्गज नेता उन्हें जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे। उनके घर पर नेताओं की बैठक चली, केक कटा और पुरानी यादें ताजा हुईं। आडवाणी अपने राजनीतिक जीवन में कई दशकों तक शीर्ष नेताओं में शुमार रहे और आज भी उनकी छाप भाजपा में नजर आती है। सोमनाथ से अयोध्या तक की रामरथ यात्रा निकालकर राष्ट्रीय फलक पर छाए आडवाणी अपने बेदाग छवि, अनुशासित जिंदगी और कर्मनिष्ठ नेता के तौर पर जाने जाते हैं।
आडवाणी को 2009 में एनडीए का पीएम उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन चुनावी समर में कामयाब नहीं थे। इसके बाद 2014 में उनके स्थान पर पीएम मोदी को चेहरा बनाने का फैसला हुआ था। इस तरह वह उपप्रधानमंत्री के पद पर तो रहे, लेकिन कभी पीएम नहीं बन सके।हालांकि कभी उन्होंने खुलकर अपने पीएम न बन पाने के बारे में कोई बात नहीं कही। लेकिन इससे बड़ा मलाल उनकी जिंदगी में रहा है, जिसके बारे में 2017 में लालकृष्ण आडवाणी ने खुलकर अपनी बात रखी थी। आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत में 1927 में सिंध के कराची में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है।
आडवाणी ने 2017 में देश विभाजन और सिंध के पाकिस्तान में जाने का दर्द बयां करते हुए कहा कि भारत तब तक अधूरा है, जब तक सिंध इसमें शामिल नहीं होता है।15 जनवरी, 2017 को कार्यक्रम में आडवाणी ने कहा था, ‘मुझे उस वक्त बहुत दुख हुआ था, जब यह पता चला था कि सिंध और कराची अब भारत का हिस्सा नहीं रहेंगे। मैं अपने बचपन के दिनों में सिंध में आरएसएस में काफी सक्रिय था।यह मेरे लिए दुख की बात है। मैं मानता हूं कि भारत सिंध के बिना अधूरा है। सिंधी परिवार में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी लंबे समय तक भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार थे। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उनकी राजनीतिक पारी करीब 6 दशक लंबी रही और वह देश के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जिन्होंने कांग्रेस से इतर सरकारों के गठन में अहम भूमिका अदा की।

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