भोपाल। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में दिवाली में अंधेरा छा सकता है. प्रदेश भर के बिजली कर्मचारी अधिकारी हड़ताल पर जा रहे हैं, जिससे बिजली सप्लाई प्रभावित होगी. यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक वीके एस परिहार का आरोप है कि ‘सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है. संगठन ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी पांच मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा. इस बार बिना शर्त समझौता नहीं होगा.’
विद्युत कर्मचारी अपनी 18 सूत्री मांगों को लेकर अगस्त में आंदोलन पर थे, लेकिन ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कर्मचारियों को एक माह में मांगे सुनने और पूरा करने का आश्वासन दिया था. संगठन का कहना है कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी लंबित मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया. अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने महंगाई भत्ता वेतन वृद्धि की एरियर्स की बकाया राशि की घोषणा कर दी, लेकिन विद्युत कंपनियों की मनमर्जी के चलते मुख्यमंत्री के निर्णय को यहां लागू नहीं किया जा सका. अब संगठन का कहना है कि दिवाली के पहले 5 सूत्रीय मांगे नहीं मानी तो प्रदेश की जनता को अंधेरे में बैठना पड़ेगा. जिसके लिए विभाग के अधिकारी कर्मचारी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
कर्मचारियों की 5 प्रमुख मांगे
- विद्युत कर्मियों के महंगाई भत्ता, स्थगित वेतन वृद्धि की बकाया राशि के 50% का भुगतान अक्टूबर 2021 के वेतन के साथ किया जाए.
- राज्य शासन और केंद्र शासन के निर्णय के अनुरूप विद्युत कर्मियों को 1 अप्रैल 2021 से 14% एनपीएस का प्रावधान लागू किया जाए.
- संविदा अधिकारियों, कर्मचारियों के वेतन में अक्टूबर 2021 के वेतन में डीए लगाने के संबंध में कार्रवाई हो.
- आउटसोर्स कर्मियों के बोनस के भुगतान के साथ-साथ उनका माह अक्टूबर 2021 का वेतन भी दिवाली के पहले दिया जाए.
- मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी द्वारा मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल के कर्मियों की सेवा शर्तों के विरुद्ध अवैधानिक कार्रवाई करते हुए उनको विद्युत देयकों में मिलने वाली 50% छूट को बंद करने का निर्णय तुरंत वापस लिया जाए.
संगठन ने अधिकारियों, कर्मचारियों को दिए निर्देश
संगठन ने अधिकारियों और कर्मचारियों से कार्यालय में जाकर उपस्थिति दर्ज न करवाने की अपील की है. फोरम के पदाधिकारियों द्वारा संभाग के डिवीजन स्तर तक की एक टीम इसकी निगरानी करेगी. 1 नवंबर को सभी उप केंद्र शिफ्ट ड्यूटी की सुबह 8:00 बजे की पारी और इसके बाद कोई भी ऑपरेटर अपनी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं होगा. किसी भी प्रकार की कोई भी आपातकालीन सेवाएं जैसे विद्युत शिकायत निवारण एवं किसी भी प्रकार का कोई भी सुधार नहीं होगा. हालांकि उपचुनाव वाले क्षेत्रों में चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारी और कर्मचारियों को 2 नवंबर तक कार्य बहिष्कार से मुक्त रखा गया है.