भोपाल । मध्यप्रदेश में 30 अक्टूबर यानी शनिवार को खंडवा लोकसभा के साथ-साथ तीन विधानसभा सीटों- रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट में उपचुनाव होने हैं। 26 लाख से अधिक वोटर 48 प्रत्याशियों में से अपना नेता चुनेंगे। चारों ही सीटों पर कोरोनावायरस की वजह से निर्वाचित प्रतिनिधियों की मौत होने से उपचुनाव की नौबत बनी है। इन चुनावों को शिवराज सिंह चौहान का लिटमस टेस्ट कहा जा रहा है। नतीजे 2 नवंबर को घोषित होंगे। कोरोना की दूसरी लहर में निर्वाचित प्रतिनिधियों की मौत के बाद सीटें रिक्त हुई हैं। खंडवा लोकसभा सीट पर भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान सांसद थे। कोरोना की वजह से उनका निधन हुआ और इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। इसी तरह जोबट विधानसभा से कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया, पृथ्वीपुर से ब्रजेंद्र सिंह राठौर और रैगांव से जुगल किशोर बागरी का भी कोरोना से निधन हुआ था। चुनाव कानून के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा की सीटें खाली होने के छह महीने के भीतर नया प्रतिनिधि चुना जाना आवश्यक है। इसी के लिए यह उपचुनाव हो रहे हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला
48 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें 32 उम्मीदवार तीन विधानसभा क्षेत्रों में किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, 16 उम्मीदवार खंडवा लोकसभा सीट पर लड़ रहे हैं। चारों ही सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में है। जोबट और पृथ्वीपुर में भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल होने वालों को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों ही सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। दो बार की विधायक सुलोचना रावत को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। उनका मुकाबला जोबट में कांग्रेस के जिला प्रमुख महेश पटेल से है। पृथ्वीपुर में कुछ ही दिन पहले समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़कर भाजपा में आए शिशुपाल यादव को टिकट दिया गया है। उनका मुकाबला ब्रजेंद्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र सिंह राठौर से है, जो कांग्रेस के टिकट पर भावनात्मक आधार पर जीत दर्ज करने का सपना देख रहे हैं। रैगांव में भाजपा के पूर्व विधायक जुगल किशोर बागरी की रिश्तेदार प्रतिमा बागरी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने कल्पना वर्मा को चुना है, जो 2018 में जुगल किशोर बागरी से 18 हजार वोट से हारी थी। कल्पना एक मजबूत उम्मीदवार हैं और हारने के बाद भी इलाके में सक्रिय रही है। इस उपचुनावों का हाइलाइट रहने वाली है खंडवा लोकसभा सीट। यहां दोनों पार्टियां गुटबाजी का सामना कर रही है। भाजपा ने वरिष्ठ नेता नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई सीट पर ज्ञानेश्वर पाटिल को टिकट दिया है। पार्टी में पाटिल कोई मजबूत नाम नहीं है। चौहान के बड़े बेटे हर्षवर्धन चौहान और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस भी टिकट के दावेदार थे।