आज से वीटीआर का पर्यटन सत्र शुरू

मनोरंजन

शहर के शोर शराबे से यदि आप शांति से आकर छुट्टियां बिताना चाहते हैं तो वीटीआर आपके लिए एकदम परफेक्ट है। अब इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। 15 अक्टूबर से पर्यटन सत्र शुरू हो जाएगा। एक घंटे बाद सीएफ हेमकांत राय इसका विधवत उदघाटन करेंगे।प्रकृति की गोद में बसे वाल्मीकिनगर की फिजा पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का इकलौता और भारत के प्रसिद्ध प्राणी उद्यानों में से एक है। 880 वर्ग किलोमीटर जंगल का 530 वर्ग किलोमीटर इलाका बाघ परियोजना के लिए आरक्षित है। जंगल सफारी के दौरान पर्यटकों को बाघों का दीदार रोमांच पैदा करता है। नेपाल और यूपी की सीमा पर स्थित यह टाइगर रिजर्व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। सर्दियों के मौसम में यहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का दीदार कश्मीर की हसीन वादियों की याद ताजा करा देती है।

बेतियासे 100 किलोमीटरदूरीपरवीटीआर

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से इसकी दूरी करीब 120 किलोमीटर है। इसकी आरक्षित सीमा में करीब ढाई सौ गांव और इसके मध्य 26 गांव बसे हैं। ये अलग-अलग प्रजाति के पेड़-पौधे और वन्य जीवों से भरा पड़ा है। दिन के उजाले में गंडक नदी के शांत पानी में पहाड़ का प्रतिबिंब बहुत ही मनोहारी और आकर्षक लगता है। गंडक नदी में विदेशी मेहमान परिंदों की क्रीड़ा देखते ही बनती है। व्याघ्र परियोजना के जंगल में बाघ, तेंदुआ, बंदर, लंगूर, हिरण, सांभर, पहाड़ी तोता समेत सैकड़ों दुर्लभ प्रजाति के जीव यहां देखने को मिल जाएंगे। वाल्मीकिनगर में आपको धूप सेंकते घड़ियाल और घने जंगलों के बीच बाघ एवं हिरणों के झुंड आसानी से देखने को मिल सकते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण है गंडक नदी । वीटीआर को स्पर्श कर गुजरती इस नदी का उद्गम नेपाल से हुआ है। यहां रुकने के लिए वन्य विभाग का कॉटेज भी उपलब्ध है। जिसके लिए आपको पहले से ही ऑनलाइन बुकिंग करानी होगी। यहां जीप में जंगल सफारी के साथ गंडक नदी में वोटिंग प्रमुख आकर्षण हैं ।

जंगल सफारी के लिए गाइड व वाहन उपलब्ध

जंगल सफारी- वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में जंगल भ्रमण के लिए विभाग की ओर से वाहन और गाइड उपलब्ध कराए जाते हैं। जो जंगल सफारी के आनंद को दोगुना कर देता है।नौका विहार- गंडक नदी के जलाशय में नौका विहार का अलग ही मजा है। ट्री हट के माध्यम से कम खर्च पर पर्यटक प्रकृति को करीब से देख और महसूस कर सकते हैं।

गंडक का ऐतिहासिक महत्व

गंडक नदी के तट पर बालू में सोना पाया जाता है और पत्थर में मिलते हैं भगवान शालीग्राम। शास्त्रों के मुताबिक भारत में दो ही संगम है। पहला प्रयाग व दूसरा वाल्मीकिनगर। वाल्मीकि रामायण में वर्णित सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी के पवित्र मिलन को त्रिवेणी संगम कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता निर्वासित होने के बाद यहीं वाल्मीकि आश्रम में निवास की थीं।

ठहरने का खास इंतजाम

गंडक नदी के तट पर जंगलों के बीच बने होटल वाल्मीकि बिहार, जंगल कैंप परिसर में बने बंबू हट, फोर फ्लैट के अलावा वाल्मीकिनगर, गनोली, नौरंगिया, गोवर्धना, मदनपुर, दोन, मंगुराहा आदि जगहों पर वन विभाग के रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना का दीदार करने के लिए सड़क और रेल मार्ग दोनों से पहुंचा जा सकता है। पर्यटक चाहें तो निजी वाहन से भी आ सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *