MP में खाद की किल्लत: अगर नहीं मिली DAP, तो टूट जाएगी अन्नदाता की कमर

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भोपाल/ इंदौर/ मुरैना/ भिंड। किसान रबी फसल की बिजाई के लिए तैयारियों में जुट गए हैं. अक्तूबर चल रहा है और किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रहा. सरसों की बिजाई का समय चल रहा है. डीएपी खाद नहीं मिलने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं.

मांग के मुकाबले 50 फीसदी कम खाद

लगता है एमपी में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. खास तौर पर किसान पर हर मौसम की मार पड़ती है. मध्यप्रदेश में किसानों के लिए अब खाद की कमी बड़ी समस्या बनकर उभरी है. एक ओर खेतों में बिजली की कटौती हो रही है और अब समय पर खाद नहीं मिलने से किसान परेशान हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि बड़ी मुश्किल से प्रति एकड़ सिर्फ 2 बोरी डीएपी खाद मिल रही है. जो पर्याप्त नहीं है. उन्हें प्रति एकड़ 4 से 5 बोरी तक जरूरत है. बुआई के समय खाद की कमी हो जाए तो समझौ किसान की फसल चौपट होना निश्चित है. किसानों का कहना है कि खाद की आपूर्ति ठीक तरीके से नहीं हो रही. प्रशासन के पास खाद है लेकिन वो किसानों को मुहैया नहीं करा रहा. प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खाद बेच रहा है. ऐसे में किसान कहां जाए. किसी शिकायत की सुनवाई नहीं है.

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मुरैना में खाद मांग रहे किसानों पर लाठीचार्ज

मुरैना में खाद मांग रहे किसानों पर लाठीचार्ज

मुरैना केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है, उसके बाद भी किसान सड़कों पर पुलिस की लाठियां खा रहा है. किसानों को 10 दिन बाद भी खाद नहीं मिल रहा है. कृषि उपज मंडी कैलारस में किसानों पर लाठीचार्ज में कुछ किसान गंभीर रूप से घायल हुए हैं. लाठीचार्ज का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है.

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खाद की मांग पर हाईवे जाम

भिंड में किसानों ने लगाया जाम

यहां किसानों ने NH-719 पर दस किमी लंबा जाम लगा दिया. हजारों की संख्या में मौजूद किसानों ने अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए जमकर नारेबाजी की. साथ ही ट्रैक्टर से रास्ता बंद कर दिया. जिसके चलते ग्वालियर और भिंड हाईवे पर करीब 5-5 किलोमीटर लंबा जाम लग गया. मौके पर भारी पुलिसबल भी मौजूद रहा, लेकिन तीन घंटे बीत जाने के बाद भी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.

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किसान ने मांगी खाद तो बौखला गए मंत्री ओपीएस भदौरिया

किसान से बोले मंत्री- चल हट… तू राष्ट्रपति है क्या

खुद को किसानों की सरकार बताने वाली शिवराज सरकार में किसान खाद की किल्लत से परेशान हैं. किसानों का विरोध और आक्रोश इन दिनों जगह-जगह जारी है. वहीं सरकार खाद की कमी नहीं होने का दावा कर रही है. भिंड जिले में कमी के चलते खाद की लूट हो रही है. इस बीच राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें वह एक आम आदमी पर भड़कते दिख रहे हैं और उस पर झल्लाते हुए कह रहे हैं कि तमीज नहीं है तुम राष्ट्रपति हो क्या.

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भिंड में खाद का टोटा, डंडे के जोर पर चुप कराने की कोशिश

खाद को लेकर क्या कर रही शिवराज सरकार

खाद की उपलब्धता को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऑनलाइन समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने खाद उपलब्धता के अलावा किसानों को आज के विकल्पों के तौर पर अन्य खाद का उपयोग करने संबंधी निर्देश दिए. इसके अलावा अब किसानों को कलेक्टर डैशबोर्ड पर खाद की उपलब्धता की ऑनलाइन जानकारी मिल सकेगी. कलेक्टर लॉगिन के लिए ट्रेनिंग माड्यूल समस्त जिलों को भेजा गया है. भारत सरकार के उर्वरक विभाग से खरीफ 2021 में टॉप-20 यूरिया क्रेता सत्यापन के निर्देश प्राप्त हुए हैं. मार्कफेड, सहकारी समिति और निजी विक्रेता के स्तर पर उर्वरकों के भौतिक स्टॉक का सतत सत्यापन कराया जाए. जिलों में व्यवस्था इस प्रकार हो कि गत अक्टूबर 2020 में सहकारी समितियों, डबल लॉक केन्द्रों से जितना उर्वरक विक्रय हुआ है. उसके अनुसार भण्डारण किया जाए. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पीओएस में स्टॉक पहुंचने की स्वीकृति तुरंत करवाई जाए. जिससे उर्वरक विक्रय से संबंधित कार्य में कठिनाई ना हो.

खाद पर नजर रखने का सिस्टम

प्रदेश में डीएपी, यूरिया सहित अन्य खाद की मांग, बिक्री और भंडारण की स्थिति पर नजर रखने के लिए सरकार ने एक सिस्टम बनाया है. प्रत्येक सहकारी समिति को न सिर्फ भंडारण की स्थिति प्रतिदिन बतानी होगी, बल्कि बिक्री का हिसाब-किताब भी देना होगा. इसके आधार पर जहां जरूरत होगी, वहां सरकार अपनी कार्ययोजना में सुधार करती जाएगी. इसके लिए कृषि और सहकारिता विभाग ने राज्य सहकारी विपणन संघ और अपेक्स बैंक के स्तर से मांग और आपूर्ति की निगरानी करने की व्यवस्था बनाई है

केन्द्र की तरफ से कितनी मदद

राज्य में खाद के लिए हाहाकार मचा तो केन्द्र को भी सामने आना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 की अवधि के लिए खाद में सब्सिडी की दरों को मंजूरी दी गई है. एनबीएस के तहत नाइट्रोजन की प्रति किलो सब्सिडी दर 18.789 रुपये, फास्फोरस के लिए 45.323 रुपये, पोटाश के लिए 10.116 रुपये और सल्फर के लिए 2.374 रुपये तय की गई है. सरकार ने कहा कि कुल सब्सिडी की जरूरत 35,115 करोड़ रुपये होगी. सीसीईए ने एनबीएस योजना के तहत गन्ने के शीरे से प्राप्त पोटाश को शामिल करने को भी मंजूरी दी है. बचत में कटौती के बाद रबी 2021-22 के लिए आवश्यक शुद्ध सब्सिडी 28,655 करोड़ रुपये होगी.जून में भी, सीसीईए ने डीएपी और कुछ अन्य गैर-यूरिया उर्वरकों के लिए सब्सिडी में 14,775 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की थी. सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए लगभग 79,600 करोड़ रुपये आवंटित किए थे .अतिरिक्त सब्सिडी के प्रावधानों के बाद यह आंकड़े बढ़ सकते हैं.

क्या होती है DAP खाद

यह क्षारीय प्रकृति का रसायनिक उर्वरक है जिसकी शुरुआत 1960 से हुई थी. यह रासायनिक उर्वरकों में सबसे विशेष महत्व की खादोंमें से एक है .यह फसलों को तरह-तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति करता है जिससे पौधा अच्छे से ग्रोथ और विकास कर पाता है. वैसे तो बाजार में बहुत सारे रसायनिक (Urvarak) देखने को मिलते हैं, लेकिन फसलों के विकास के लिए कंप्लीट पोषक तत्व डीएपी (D A P Khad) के द्वारा पौधों को मिल जाता है.

डीएपी खाद कृषि में उपयोग होने वाली क्षारीय प्रकृति का रसायनिक उर्वरकों में से एक है. जिसका पूरा नाम डाई अमोनियम फास्फेट है. यह विश्व में उपयोग होने वाली सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण फोस्फोटिक खाद में से एक है. इसका उपयोग सबसे ज्यादा हरित क्रांति के बाद देखने को मिला है जिसके कारण लगभग ज्यादातर किसान इसको उपयोग करने लगे हैं. Dap Fertilizer पौधों में पोषण के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पूरी करने के लिए सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इसमें 18 फीसदी नाइट्रोजन, 46 फीसद फास्फोरस पाया जाता है. इन पोषक तत्वो मे 39.5 परसेंट घुलनशील फास्फोरस और 15.5% अमोनियम नाइट्रेट के साथ 50 केजी (50 kg) के पैक में बाजार मे उपलब्ध होता है.

काम की सलाह, यूरिया के साथ सिंगल सुपर फास्फेट उपयोग करें

डीएपी की कमी के कारण कृषि विशेषज्ञ यूरिया के साथ सिंगल सुपर फास्फेट उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं. SSP उर्वरक डीएपी की तुलना में सस्ता और बाजार में आसानी से उपलब्ध है. प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन पायी जाती है. विभाग ने सलाह दी है कि डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी और 1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है, तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और अतिरिक्त सल्फर प्राप्त किया जा सकता है. इससे 24 किलोग्राम फॉस्फोरस, 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम सल्फर मिलता है. डीएपी के एक बैग की कीमत 1200 रूपए है, वहीं एसएसपी के 3 बैग की लागत 900 रूपए और यूरिया के एक बैग की लागत 266 रूपए सहित कुल 1,166 रूपए खर्च होंगे जो डीएपी के खर्चे से कम है.

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