महा अष्टमी कल: सुकर्मा योग में महागौरी की पूजा के साथ शुरू होंगे कन्या पूजन, हवन व भंडारे

धर्म-कर्म-आस्था

शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है। इस पर्व पर माता दुर्गा की सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के साथ हवन व भंडारे होते हैं। हालांकि जिस घर में जैसी परंपरा होती है। उसी अनुसार पूजन होता है। कन्या पूजन के उपरांत देवी का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि महागौरी की पूजा से बच्चे दीर्घायु होते हैं। 13 अक्टूबर महा अष्टमी है। इस दिन विशेष रूप से छोटी कन्याओं को बुलाकर भोजन व पूजन कराने की परंपरा होती है।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार अश्वनी मास शुक्ल पक्ष तिथि अष्टमी के दिन सुकर्मा योग सुबह 6 बज कर 09 से प्रारंभ होगा। जो कि 14 अक्टूबर दिन के 3 बज कर47 तक रहेगा। इसके बाद धृति योग प्रारंभ होगा। जैसा कि नाम से विदित होता है, कि इस योग में कोई भी शुरू किया गया कार्य सफलता देने वाला तथा श्रेष्ठ कारक रहता है।

विशेषताएं- इस योग में नई नौकरी ज्वाइन करना, धार्मिक कार्य का आयोजन सफलता देने वाला होता है। वही भक्ति, साधना, सत्कर्म करने के लिए भी यह सुकर्मा योग अति उत्तम होता है।

अष्टमी तिथि का प्रारंभ 12 अक्टूबर दिन मंगलवार को रात 9:49 से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 8:09 पर समाप्त होगी।

कन्या पूजन करने से होते हैं लाभ

2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहते हैं। इनके पूजन से दुख दरिद्रता का नाश होता है।

3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है। इनके पूजन से परिवार में सुख शांति आती है।

4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते हैं। इनकी पूजा से धन धान्य में वृद्धि होती है।

5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। इनके पूजन से व्यक्ति रोग मुक्त होता है।

6 वर्ष की कन्या को कालिका कहते हैं। इनके पूजन से विद्या व विजय की प्राप्ति होती है।

7 वर्ष की कन्या को चंडिका कहते हैं इनके पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

8 वर्ष की कन्या को शांभवी कहते हैं। इनके पूजन से वाद-विवाद में विजय मिलती है।

9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।

10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है। इनके पूजन से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।

–कन्याओं को उपहार में 6 चीजें देने से देवी मां होती है प्रसन्न

लाल वस्त्र गिफ्ट में उपहार में देने से मां प्रसन्न होती हैं तथा मंगल ग्रह मजबूत होता है।

फल उपहार में देने से अच्छे कर्मों का फल दुगना हो कर प्राप्त होता है। मिठाईयां देने से गुरु ग्रह मजबूत होता है। वही परिवार में मिठास बनी रहती है।

श्रृंगार सामग्री उपहार में देने से सुहाग की रक्षा होती है और वंश वृद्धि भी होती है। चावल तथा जीरा कन्याओं को उपहार में गिफ्ट में देने से घर के अंदर धन की वृद्धि होकर संपन्नता बढ़ती है। भोजन उपरांत दक्षिणा कन्या को घर में सदैव लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

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