इंदौर ।
नए घर का सपना देख रहे लोगों और रियल इस्टेट सेक्टर को सरिये के बाद अब सीमेंट झटका देने जा रही है। सीमेंट कंपनियों ने 10 अक्टूबर से दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। इंदौर समेत आसपास के शहर कस्बों के खुदरा बाजार में कंपनियों के दाम बढ़ाने के दो दिन पहले शुक्रवार से ही सीमेंट के दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी है। सभी सीमेंट कंपनियों ने एक साथ मूल्यवृद्धी की घोषणा की है। कोयले और बिजली के बढ़ती कीमतों को दाम बढ़ाने की वजह बताया गया है। फिलहाल प्रति बोरी 10 से 20 रुपये बढ़ाने की बात कही गई है।
सीमेंट कारोबारियों को दो दिन पहले कंपनियों की ओर से सूचना दी गई थी कि दामों में 30 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। सूचना के बाद खुदरा कारोबारियों ने 8 अक्टूबर से 10 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़ा दिए हैं। व्यापारी युसुफ लोखंडवाला के अनुसार फिलहाल शहर में सीमेंट कंपनी के अनुसार अलग-अलग ब्रांड में 330 से 350 रुपये प्रति बोरी बिक रही है। शुक्रवार से सभी के दामों में 10 रुपये की वृद्धि होगी। कंपनियों की ओर से संदेश मिलने के बाद ही दामों में यह वृद्धि की जा रही है।
मध्यभारत के बड़े सीमेंट डीलरों में शामिल हेमंत गट्टानी के अनुसार कंपनी की ओर से हमें 10 अक्टूबर से दाम बढ़ने की सूचना मिली है। उसी तारीख से हम मूल्यवृद्धि कर रहे हैं। सीमेंट के दामों में बीते महीने भी बढोतरी की गई थी। हालांकि ताजा वृद्धि को दामों में बढ़ी तेजी लाने की शुरुआत माना जा रहा है। बिल्डर अजय चौरड़िया के अनुसार बीते महीने सीमेंट के दाम करीब 10 रुपये बढ़े थे। ताजा संकेत से लग रहा है कि दीवाली तक सीमेंट के दामों में 20 से 30 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
मप्र और मध्यभारत से पहले ही दक्षिण भारत में सीमेंट कंपनियां इतने दाम बढ़ा चुकी है। त्याहारों से पहले कंस्ट्रक्शन तेजी से जारी है। मांग अच्छी है लिहाजा कंपनियों को इसका लाभ उठाते हुए दाम बढ़ाने का मौका मिल गया है। कोयले या बिजली की बजाय सीमेंट कंपनियों का कार्टेल मूल्यवृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
150 से 175 रुपये प्रति वर्गफुट सीमेंट का खर्च
क्रेडाइ के अध्यक्ष नवनीत मेहता के मुताबिक किसी भी प्रोजेक्ट में सीमेेंट और सरिये का खर्च सबसे अहम होता है। सरिये के दाम पहले से ऊंचाई पर है। 30 प्रतिशत लागत सरिये की मानी जाती है। इसी तरह प्रोजेक्ट में 150 रुपये से 175 रुपये प्रति वर्गफुट लागत सीमेंट की होती है। ताजा मूल्यवृद्धि से बिल्डरों की परेशानी बढ़ जाएगी। पुराने दामों पर बुकिंग बिल्डर्स ले चुके हैं। जबकि अब प्रोजेक्ट महंगा होगा। ऐसे में या तो खरीदारों पर बोझ डालना होगा या घाटा उठाना पड़ेगा या प्रोजेक्ट धीमे पड़ जाएंगे।