इंदौर।
मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल के धागे की मांग बांग्लादेश ने की है। कभी अपनी कपड़ा मिलों के लिए देशभर मेें विशेष पहचान रखने वाले इंदौर ने यार्न निर्यात किया है। सोमवार को एक विशेष पार्सल ट्रेन इंदौर व आसपास के जिलों का 450 टन माल लेकर रवाना हुई है। निर्यातक और माल भेजना चाहते हैं, लेकिन रेलवे के पास रैक ही उपलब्ध नहीं हैं।
माल इकट्ठा कर भेजने वाली कंपनी के सीईओ हिमांशु पंत ने बताया कि हमने इंदौर से यार्न बांग्लादेश के बेनापोल भेजा है। हम कुछ और ट्रेन रेलवे से लेना चाहते हैं। माल इतना है कि अभी कम से कम आठ ट्रेनें भेजी जा सकती हैं। अगले पांच-छह दिन में एक और ट्रेन भेजे जाने की तैयारी है। रेलवे को 21 कोच पार्सल का किराया 31 लाख रुपये दिया गया है।
प्रदेश में 25 लाख स्पींडल यार्न का उत्पादन
मध्य प्रदेश में यार्न की बड़ी यूनिटें बुधनी, पीथमपुर व मंडी दीप में हैं। इसके अलावा बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, धार, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर यार्न का उत्पादन होता है। यार्न उत्पादकों के अनुसार प्रदेश में करीब 25 लाख स्पींडल यार्न का उत्पादन होता है। यानी करीब नौ लाख टन धागा रोज बनाया जाता है। वहीं बुरहानपुर में 80 हजार स्पींडल यार्न रोज बनाया जाता है।
यार्न निर्माता पवन लाठ एवं मुकेश देवड़ा के अनुसार वर्तमान में ताप्ती मिल बंद होने से 50 हजार स्पींडल की कमी है। यदि यह मिल चालू रहती है तो बुरहानपुर में एक लाख 30 हजार स्पींडल यार्न रोज बनता।
खरगोन की जवाहर सूत मिल के प्रबंधक सद्गुरु राय के अनुसार अनलाक के बाद एक जून 2021 से मिल में दोबारा उत्पादन शुरू हुआ है। 1250 किलो धागा प्रतिदिन यहां बन रहा है। अहमदाबाद, मालेगांव, सोलापुर, सूरत सहित अन्य स्थानों पर जाता है।