अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बनने के बाद पूरी दुनिया में 9/11 जैसे आतंकी हमलों का खतरा भी पैदा हो गया है। ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी MI-5 के प्रमुख केन मैक्कलम ने इस बात की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अलकायदा स्टाइल हमलों में तेजी आ सकती है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा दुनिया को एक नए संकट की तरफ धकेल सकता है. तालिबान के सत्ता कब्जाने से आतंकवादियों का मनोबल बढ़ा है और इसका मतलब है कि 9/11 जैसे आतंकी हमलों का खतरा बना रहेगा।
केन मैक्कलम ने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद चरमपंथी मजबूत हुए हैं और इससे पश्चिमी देशों के खिलाफ “अल-कायदा-शैली” के बड़े हमलों के षड्यंत्रों की पुनरावृत्ति हो सकती है। उन्होंने कहा कि नाटो सैनिकों की वापसी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित अफगान सरकार के अपदस्थ होने के कारण ब्रिटेन को ‘‘अधिक जोखिम” का सामना करना पड़ सकता है। मैक्कलम ने एक साक्षात्कार में कहा कि आतंकी खतरों की स्थिति रातोंरात नहीं बदलती है और अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद चरमपंथी मजबूत हुए हैं जिससे पश्चिमी देशों के खिलाफ “अल-कायदा-शैली” के बड़े हमलों के षड्यंत्रों की वापसी हो सकती है। मैक्कलम ने कहा, ‘अफगानिस्तान से बड़ी चिंता यह आ रही है, आतंकी कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित होंगे और एक सुनियोजित साजिश के साथ 9/11 जैसे हमलों को अंजाम दे सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम से ब्रिटेन के लिए अधिक खतरा उत्पन्न हो सकता है, इसलिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। ब्रिटेन ने पिछले दो दशकों में इस्लामी सोच से प्रेरित चरमपंथियों के कई हिंसक हमले देखे हैं। देश में सबसे घातक आतंकी हमला सात जुलाई 2005 को हुआ था जब चार आत्मघाती हमलावरों ने लंदन में मेट्रो ट्रेनों और एक बस को निशाना बनाकर 52 यात्रियों की हत्या कर दी थी। हाल में हुए चाकू और वाहन हमले काफी हद तक इस्लामिक स्टेट समूह जैसे आतंकी समूहों से प्रेरित व्यक्तियों का काम है। मैक्कलम ने कहा कि ब्रिटेन के अधिकारियों ने पिछले चार वर्षों में इस्लामी और धुर दक्षिणपंथी चरमपंथियों के हमला करने संबंधी 31 षड्यंत्रों को नाकाम किया है। उन्होंने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमलों के 20 साल बाद ब्रिटेन अधिक सुरक्षित है या कम सुरक्षित है।