रायपुर |
प्रदेश में खनिज विकास निधि (डीएमएफ) परिषद की कमान फिर से कलेक्टरों को सौंप दी गई है। कलेक्टर पहले भी अध्यक्ष हुआ करते थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए प्रभारी मंत्रियों को इसका अध्यक्ष बना दिया था। वहीं, कलेक्टरों को परिषद का पदेन सचिव नियुक्त किया था। केंद्र सरकार की आपत्ति और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के पत्र के बाद सरकार ने इसमें फिर से बदलाव किया है। डीएमएफ की कमान फिर से कलेक्टरों को सौंपे जाने के लिए नियमों में बदलाव करते हुए सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
बता दें कि प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष बनाए जाने पर अपत्ति करते हुए केंद्र सरकार ने पिछले महीने 18 तारीख राज्य को पत्र भेजा था। इसमें केंद्र सरकार ने कहा था कि प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ परिषद के अध्यक्ष पद से हटाएं, क्योंकि फंड के प्रमुख कलेक्टर ही होंगे। इस बदलाव के संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार जिले के लोकसभा सांसद भी परिषद के सदस्य होंगे।
यदि किसी सांसद का क्षेत्र एक से अधिक जिलों में आता है तो वे ऐसे सभी जिलों के सदस्य होंगे। वहीं, राज्यसभा सदस्य किसी एक जिले में सदस्य होंगे, जिसका चयन वे स्वयं करेंगे। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने 23 अप्रैल 2021 को आदेश जारी कर कहा था कि जिले के प्रशासनिक प्रमुख डीएमएफ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। इसके साथ ही जिले में खनन प्रभावित क्षेत्रों के चयनित प्रतिनिधियों को डीएमएफ के उद्देश्यों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए देश के सभी खनन प्रभावित क्षेत्र के जिलों में शासी परिषद के सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा।
इससे डीएमएफ के अंतर्गत निधि का सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित होगा और डीएमएफ के अंतर्गत परियोजनाओं के निष्पादन में जन प्रतिनिधियों की समस्याओं का समाधान भी होगा। दरअसल, डीएमएफ फंड के प्रमुख को लेकर केंद्र सरकार ने 23 अप्रैल 2021 को ही स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिया था। मगर, छत्तीसगढ़ सरकार ने दो जून 2021 को केंद्र सरकार को पत्र भेजकर ये आग्रह किया था कि डीएमएफ की शासी परिषद के अध्यक्ष के रूप जिले के प्रभारी मंत्रियों को अनुमति दी जाए।