बिरसा मुंडा जयंती ऐच्छिक अवकाश पर कांग्रेस ने सवाल उठाए तो शिवराज ने किया ऐलान, अब सरकार मनाएगी जनजातीय गौरव दिवस

भोपाल मध्यप्रदेश राजनीति

मध्यप्रदेश में 15 नवंबर यानी बिरसा मुंडा जंयती पर सार्वजनिक (सामान्य) अवकाश रहेगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने मंगलवार शाम को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। सरकार ने पहले इस दिन ऐच्छिक अवकाश घोषित किया था। 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं करने को लेकर कांग्रेस ने सरकार की आलोचना की थी।नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच सदन में इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई थी। इसके बाद शिवराज ने ऐलान किया था कि 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा। उन्होंने इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने इस पर कहा था, 9 अगस्त विश्व मूल निवासी दिवस है। इस दिन ऐच्छिक अवकाश की व्यवस्था है। राज्य सरकार जनजातीय कल्याण की दिशा में निरंतर सक्रिय है। पूरे प्रदेश में जनजातीय संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्यों, रोजगार और अर्थव्यवस्था के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना।

आदिवासियों के नाम पर राजनीति
शिवराज ने कांग्रेस पर आदिवासियों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री ने कहा था, कांग्रेस विधानसभा में घटिया राजनीति कर रही है। इससे पहले कमलनाथ ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था, आदिवासी दिवस पर सरकार ने आदिवासियों का अपमान किया है। विश्व आदिवासी दिवस पर हमारी सरकार ने अवकाश घोषित किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस पर रोक लगा दी।
आदिवासी दिवस पर क्या है विवाद
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश शुरू किया था। शिवराज सरकार के फिर से सत्ता में आने के बाद पिछले साल यानी 2020 को भी 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश था, लेकिन इस साल सार्वजनिक अवकाश की सूची से विश्व आदिवासी दिवस को हटा दिया। कमलनाथ ने इसे मुद्दा बनाने में देर नहीं की।
छिंदवाड़ा कलेक्टर ने निरस्त कर दिया था स्थानीय अवकाश
छिंदवाड़ा में आदिवासी विधायकों की मांग पर कलेक्टर ने स्थानीय अवकाश घोषित किया और फिर निरस्त कर दिया। कमलनाथ ने इस पूरे घटनाक्रम को आदिवासियों के सम्मान से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि भाजपा आदिवासियों का अपमान कर रही है। इस मुद्दे को उन्होंने राज्यपाल मंगुभाई पटेल के सामने भी उठाया था।
अवकाश की राजनीति की जरूरत क्यों?
विश्व आदिवासी दिवस के अवकाश को लेकर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने हैं। उससे साफ है कि दोनों दल सरकारी अवकाश में भी इस समुदाय विशेष के वोटों का ध्रुवीकरण होने की संभावना देख रहे हैं। दरअसल, राज्य में आने वाले कुछ महीनों में 3 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है। खंडवा लोकसभा सीट पर आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है। इस इलाके में ही पिछले दिनों नेमावर हत्याकांड को लेकर भी राजनीति देखी गई थी। आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) भी यहां सक्रिय है। कांग्रेस की चिंता का विषय जयस का बढ़ता प्रभाव है।
बीजेपी भी एक अवकाश के लिए आदिवासी वोटों को नाराज कर अपने खाते से सीट नहीं गंवाना चाहती। यही कारण है कि मुख्यमंत्री चौहान ने बिरसा मुंडा की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश देने की घोषणा की है। जिन तीन सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हैं। उनमें झाबुआ जिले की जोबट आदिवासी सीट भी है।

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