सीमा विवाद : ओडिशा ने विवादित कोटिया पंचायत क्षेत्र में अवरोधक लगाए, पुलिस तैनात की

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कोरापुट/विजयनगरम : आंध्र प्रदेश ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि ओडिशा की कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन है जिसमें दोनों को यथास्थिति कायम रखने को कहा गया है. उसने कहा कि वह इस मामले को शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाएगा.

ओडिशा के कोरापुट जिला प्रशासन ने बताया कि आंध्र प्रदेश विधानसभा में सलूर से विधायक पी.रंजन डोरा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आंध्र प्रदेश से करीब 500 लोग कोटिया में दाखिल होंगे और कई सरकारी इमारतों की अधारशिला रखने, जमीन का पट्टा देने और वृक्षारोपण सहित कई कार्यक्रम लागू करेंगे.

कोरापुट के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट डेबेन कुमार प्रधान ने कहा कि इन कदमों से अशांति फैल सकती है क्योंकि कोरापुट के विधायक ने इस कदम का विरोध किया है. इसलिए प्रशासन ने सोमवार को अंतर राज्यीय सीमा पर अवरोधक लगाए और पर्याप्त संख्या में बलों की तैनाती की है ताकि आंध्र प्रदेश के अधिकारियों और नेताओं को प्रवेश करने से रोका जा सके.

उन्होंने बताया कि 11 अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के अधिकार के साथ इलाके में तैनात किया गया है, जो हालात की निगरानी कर रहे हैं. मौजूदा समय आंध्र प्रदेश के अधिकारियों द्वारा कोटिया में प्रवेश की कोशिश किए जाने के बावजूद शांतिपूर्ण बनी हुई है. वहीं, पार्टी से इतर विधायक सहित नेता सोमवार को इलाके में आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को कोटिया में प्रवेश करने से रोकने के लिए एकत्र हुए.

ओडिशा सरकार ने पंचायत के न्यायाधिकार क्षेत्र के 21 गांवों में उडिया भाषा में संकेतक भी लगाए हैं. आंध्र प्रदेश विधानसभा में सलूर के विधायक से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश विद्या कनुका (छात्रों के लिए किट वितरण) कार्यक्रम लागू करना चाहता है क्योंकि सोमवार को इलाके के स्कूल खुले है. इसके अलावा गांव में वृक्षरोपण अभियान और ग्राम सचिवालय की इमारत बनाने की पहल करना चाहता है.

उन्होंने कहा कि ओडिशा का कदम उच्चतम न्यायालय के यथा स्थिति कायम रखने के निर्देश का उल्लंघन है. मैंने इस मुद्दे को मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास और विजयनगरम की कलेक्टर सूर्या कुमारी के समक्ष भी उठाया है और उनसे मामले को शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाने का अनुरोध किया है.गौरतलब है कि कोटिया पंचायत के अंतर्गत 28 गांवों में से 21 गावों का विवाद पहली बार वर्ष 1968 में उच्चतम न्यायालय पहुंचा. वर्ष 2006 में शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतर राज्यीय सीमा उसके न्यायाधिकार क्षेत्र में नहीं आता और केवल संसद यह मुद्दा निपटा सकती है. अदालत ने विवादित क्षेत्र के मामले में स्थायी रोक लगा दी.

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