मुंबई, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि अगर चीन पर निर्भरता बढ़ती है तो हमें उसके सामने झुकना होगा। इसलिए हमें आत्म-निर्भर बनाना होगा। एक देश जितना ही आत्मनिर्भर होगा उतना ही सुरक्षित होगा। 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां एक स्कूल में ध्वजारोहण के बाद भागवत ने कहा कि स्वदेशी का मतलब भारत की शर्तो पर कारोबार से है। उन्होंने कहा, ‘हम इंटरनेट और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। हमारे देश में मूल तकनीक नहीं है। यह बाहर से आई है।’
खत्म करनी होगी चीन पर निर्भरता
भागवत ने कहा, ‘एक समाज के रूप में हम चीन के बारे में कितना भी चिल्लाएं और चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें, लेकिन आपके मोबाइल में जो कुछ भी है वह कहां से आता है? चीन पर निर्भरता बढ़ी तो हमें उसके आगे झुकना पड़ेगा।’ सरसंघचालक ने कहा कि आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। प्रौद्योगिकी का अनुकूलन हमारी शर्तो पर होना चाहिए। हमें स्व-निर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का मतलब यह नहीं है कि हम हर चीज की अनदेखी करें। अंतरराष्ट्रीय व्यापार बना रहेगा, लेकिन यह हमारी शर्तो पर होना चाहिए। इसके लिए हमें आत्म-निर्भर होना होगा।
जो बना सकते हैं, उसे बाहर से खरीदना ठीक नहीं
भागवत ने कहा कि जो कुछ भी हम अपने यहां बना सकते हैं, उसे बाहर से नहीं खरीदना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी आर्थिक दृष्टि अधिक उत्पादन की होनी चाहिए और उत्पाद की गुणवत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।
गांवों में उत्पादन हो
उन्होंने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हमारा उत्पादन गांवों में होना चाहिए। यह बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं, बल्कि जनता द्वारा उत्पादन होना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि विकेंद्रीकृत उत्पादन से भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी और स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे।
नियंत्रित उपभोक्तावाद आवश्यक
संघ प्रमुख ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का शोषण न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रित उपभोक्तावाद आवश्यक है। जीवन का स्तर इस बात से तय नहीं होना चाहिए कि हम कितना कमाते हैं, बल्कि इससे तय होना चाहिए कि हम कितना वापस देते हैं। भागवत ने कहा, ‘जब हम सबके कल्याण पर विचार करेंगे तो हमें खुशी होगी। खुश रहने के लिए हमें भरपूर धन की आवश्यकता होगी और इसके लिए हमें आर्थिक मजबूती की जरूरत होगी।’
गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (lAC) की रक्षा में तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के 20 जवानों को पिछले साल पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध और संघर्ष के दौरान बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए वीरता के पुलिस पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के लिए केंद्र सरकार ने कुल 1,380 पुलिस पदक घोषित किए हैं। इनमें दो राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमजी), 628 वीरता के लिए पुलिस पदक (पीएमजी), 88 विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम) और 662 सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएम) शामिल हैं।