एक साल बाद मध्य रात्रि में खुलेंगे उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

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उज्जैन ।

धर्मनगरी उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर बने नागचंदेश्वर मंदिर के पट एक साल बाद गुरुवार-शुक्रवार की मध्यरात्रि 12 बजे खुलेंगे। वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी पर खुलने वाले मंदिर में विराजित भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संतों द्वारा की जाएगी। इसके बाद सामान्य जनता के लिए दर्शन का सिलसिला शुरू होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है।

श्रद्धालु मंदिर की वेबसाइट पर घर बैठे आनलाइन भगवान के दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा दर्शन के लिए मंदिर के कार्तिकेय मंडपम् और महाकालेश्वर मंदिर के पीछे स्थित हरसिद्धि चौराहा पर मेगा स्क्रीन भी लगाई जाएगी। नागपंचमी के दिन भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए प्री-बुकिंग जरूरी होगी।

त्रिकाल पूजन की परंपरा

नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है। त्रिकाल अर्थात तीन अलग-अलग समय पर होने वाली पूजा। प्रथम पूजा 12-13 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा की जाएगी। दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन 13 अगस्त को दोपहर 12 बजे शासन की ओर से अधिकारियों द्वारा की जाएगी। तीसरी पूजा 13 अगस्त को शाम 7.30 बजे भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद मंदिर समिति की ओर से महाकाल मंदिर के पुजारी करेंगे। 13 अगस्त की रात 12 बजे आरती के पश्चात मंदिर के पट पुन: एक वर्ष के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

मंदिर के शीर्ष पर विराजित हैं भगवान नागचंद्रेश्वर

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर तीन तल में बना हुआ है। गर्भगृह अर्थात सबसे नीचे वाले तल में भगवान महाकालेश्वर विराजित हैं। प्रथम तल पर भगवान ओंकारेश्वर तथा शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर विराजित हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर के अग्रभाग में भगवान शिव-पार्वती की शेषनाग पर विराजित अद्भुत मूर्ति स्थापित है। पुराविदों के अनुसार यह 11वीं शताब्दी की परमार कालीन मूर्ति है। बताया जाता है कि इस मूर्ति को नेपाल से यहां लाया गया था। नागपंचमी पर इसी मूर्ति के दर्शन के बाद भक्त नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं। वर्षभर यह मूर्ति पर्दे से ढंकी रहती है।

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