बुरहानपुर । खंडवा संसदीय क्षेत्र में होने वाले सांसद के उपचुनाव को लेकर राजनीति उबाल पर है, कोई स्वंय के लिए तो कोई पत्नि के लिए पार्टी आलाकमान के दरबार में अर्जी लगाकर दावेदारी कर रहा है। स्वं. नंदकुमार सिंह चौहान के असमायिक निधन से खाली होने वाली इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है, भाजपा इसे अपने पाले की सीट मानकर सिमपेथी के चलते जीत बरकरार रहने का दावा कर रही है। वहीं कांग्रेस भाजपा से यह सीट गुणा भाग के आधार पर हासिल करना मान रही है कि भाजपा में गुटबाजी चर्म पर है पार्टी टिकिट किसी भी गुट को दे हार भीतरी घात के चलते पक्की है, यहां ऐसे में कांगेस के लिए भी जीत आसान नही होगी यहां भी बहुत दावपेच है, कांग्रेस और भाजपा के बीच का सीधा मुकाबला चौकोणीय रूप धारण कर सकता है, और यह चौकोणीय मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। भाजपा से जहां उम्मीदवारों की सूची स्थानीय तौर पर लंबी है वहीं कांग्रेस की छोटी सी सूची में दावपेच अधिक है। ऐसे में कांग्रेस से अरूण यादव भाजपा से हर्ष वर्धन चौहान और अर्चना चिटनीस के साथ अन्य नाम भी शामिल है। वहीं र्निदलीय विधायक ने अपनी पत्नि का दावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष रखा है, जब कि वह स्वंय सदन में उनका झुकाव भाजपा की ओर अधिक देखा गया है। अब ऐसे में उपचुनाव का यह दंगल कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से पूर्व यह उपचुनाव नियमानुसार सम्पन्न होना है जिस के लिए राजनैतिक सर्गीमियां तेज है। लेकिन चुनाव आयोग की उपचुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नही है, बल्कि निकाय चुनाव के मामले को लेकर चुनाव आयोग हाईकोर्ट में अपना पक्ष रख कर यह साफ कर चुका है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की स्थिति साफ होने के बाद ही निकाय चुनाव सम्भव है, अब ऐसे में संसदीय उपचुनाव की आयोग से कैसे उम्मीद की जा सकती है, यह तो समय ही तय करेगा, लेकिन राजनैतिक तौर पर खंडवा संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस अपनी पूरी बिछात बिछाने को तैयार है अब इंतेजार है तो चुनाव आयोग की हरी झंडी का।
40 बागी विधायकों में से 5 को मिली हार, सामना के जरिए उद्धव ठाकरे ने शिंदे को राजनीति छोड़ने के वादे की दिलाई याद
शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके राजनीति छोड़ने के वादे की याद दिलाई, यदि 2022 में अविभाजित शिवसेना के विभाजन के दौरान उनके साथ रहने वाले…