जबलपुर ।
जिले से 60 हजार गरीब परिवार कम हो गये। इस बात का खुलासा जिला प्रशासन की गरीबी रेखा की सूची से हुआ है। जिले में पहले जहां चार लाख 21 हजार गरीबी रेखा के कार्ड बने थे वहीं अब मात्र तीन लाख 61 हजार गरीब परिवार रह गये हैं।
कोरोना संकट काल के शुरूआती दौर में सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को मुफ्त राशन बांटने का निर्णय लिया, लेकिन साथ ही जिला प्रशासन की टीम को सर्वे की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। टीम ने जब सर्वे शुरू किया तो कई तरह के खुलासे सामने आये। जिला प्रशासन के अलग-अलग विभागों ने बीपीएल परिवारों की बारीकी से जांच की तो इनमें से कई के पते गलत निकले, कुछ ऐसे परिवार हैं जिन्होंने अरसे से सरकारी राशन ही नहीं लिया, और कुछ के बताए पते पर जब टीम पहुंची तो वहां झोपड़ी या गरीबी दिखने के बजाए दो से तीन मंजिला मकान बने हुए थे। यानी गरीबी से इनका कोई नाता नहीं था। इससे स्पष्ट हो गया कि लोगों द्वारा गरीबी रेखा के राशन कार्ड का दुरूपयोग किया जा रहा है। इसलिए सर्वे टीम की रिपोर्ट के बाद ऐसे 60 हजार परिवारों का नाम बीपीएल सूची से काट दिया गया। फिलहाल जिला खाद्य आपूर्ति विभाग जिले में तीन लाख 61 हजार परिवारों को बीपीएल कार्ड धारी मानते हुए प्रतिमाह राशन दे रहा है। इस आंकड़े में 40 हजार परिवार अति गरीब की श्रेणी में हैं।
नहीं हुई कोई कार्रवाई: पिछले सालों में 60 हजार फर्जी बीपीएल परिवारों के नाम गरीबी रेखा की सूची से काट दिए गए हैं जो पात्रता नहीं रखते थे। इसमें बहुत से लोग ऐसे सामने आये जो गलत तरीके से कार्ड बनवाकर उसका दुरूपयोग कर रहे थे। बावजूद इसके जिला प्रशासन की टीम ने सूची से ऐसे लोगों के सिर्फ नाम काटने का काम किया उनके ऊपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई।