नई दिल्ली ।
पेगासस जासूसी कांड से लेकर किसानों के मुददे पर विपक्ष दलों ने संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति बनाई थी। मानसून सत्र का पहला हफ्ता गुजर गया, लेकिन घेरेबंदी को लेकर विपक्षी दलों में एकजुटता कहीं देखने को नहीं मिली। अब विपक्षी दलों की एकजुटता बहुत कुछ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी की दिल्ली यात्रा पर निर्भर कर रही है। सोमवार को दिल्ली आ रहीं ममता सोनिया गांधी समेत विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ बैठकें करेंगी।
पेगासस से लेकर किसानों के मुद्दे पर संसद में अब तक डांवाडोल ही दिखी है विपक्षी दलों में एकजुटता
हालांकि, अभी तक टीएमसी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कांग्रेस की कोशिशों को तवज्जो देने के बजाय अपने हिसाब से विरोध प्रदर्शन की रणनीति और मुददे तय करते दिखी है। वैसे कांग्रेस को उम्मीद है कि अगले हफ्ते संसद में विपक्ष की संयुक्त रणनीति में टीएमसी भी शामिल होगी और साझे तालेमल से सरकार को पेगासस जासूसी से लेकर कृषि कानूनों के खिलाफ घेरा जा सकेगा। कांग्रेस ने ममता की यात्रा से पहले ही उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी की पेगासस के जरिए जासूसी कराए जाने के मामले को आधिकारिक ट्विटर हैंडल से उठाकर इन मामलों पर साथ मिलकर काम करने के संकेत भी दे दिए हैं।
कई मौकों पर अलग राह पर रही है टीएमसी संसद में
टीएमसी की रणनीति कई मौकों पर विपक्षी एकता को डांवाडोल कर देती है और इसका नमूना मानसून सत्र के पहले हफ्ते में ही दो-तीन अवसरों पर नजर आया। पहले दिन कांग्रेस और उसके घटक दलों ने संसद में जहां महंगाई और कृषि कानूनों के मुददे पर हंगामा किया, वहीं टीएमसी ने पेगासस जासूसी कांड को तवज्जो दी। जब दूसरे दिन कांग्रेस-यूपीए के साथी दलों ने पेगासस जासूसी कांड पर सरकार को घेरा तो टीएमसी ने कृषि कानूनों के खिलाफ हंगामा किया। हालांकि बाकी दो दिन जरूर पेगासस का मुददा विपक्षी खेमे के एजेंडे में प्रमुखता से रहा। कोविड-19 पर राज्यसभा में हुई बहस के लिए विपक्ष के राजी होने में भी टीएमसी और कांग्रेस के बीच मतांतर देखा गया।
कोविड की स्थिति को लेकर सदन के नेताओं के लिए प्रधानमंत्री की बुलाई बैठक के संदर्भ में विपक्षी एकता नदारद दिखी। कांग्रेस, शिवसेना और अकाली दल समेत छह पार्टियां इस बैठक में शामिल नहीं हुई मगर टीएमसी के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियां बैठक में शरीक हुई हैं। इसीलिए ममता बनर्जी की प्रस्तावित दिल्ली यात्रा पर विपक्षी खेमे की नजर टिकी है।
बड़े मुद्दों पर साथ आए टीएमसी- कांग्रेस
रणनीतिकारों का मानना है कि विपक्ष को मजबूत करने के एजेंडे की बात कर रही टीएमसी इस पर गंभीर है तो फिर बड़े मुद्दों पर संयुक्त रणनीति के साथ सहयोग करना अपरिहार्य जरूरत है। तभी बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस विपक्षी नेताओं के ममता बनर्जी की ओर से राजधानी में बुलाई गई बैठक के लिए अपने वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को भेजेगी। ममता अपने इस दौरे के दौरान सोनिया गांधी के अलावा शरद पवार, अखिलेश यादव से लेकर अरविंद केजरीवाल सरीखे नेताओं से चर्चा कर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने की औपचारिक पहल शुरू करेंगी।