MP हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए निर्देश, कहा- राज्य को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाए वैक्सीन

जबलपुर मध्यप्रदेश

जबलपुर। कोरोना को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लगी याचिका पर आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही नियत तारीख तक कोरोना की संभावित तीसरी लहर को सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए हैं. वहीं कोर्ट ने प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता, जिलेवार ऑक्सीजन प्लांट की वर्तमान स्थिति सहित 52 जिलों में आईसीयू, वेंटिलेटर बेड और सीटी स्कैन मशीनों की भी पूरी रिपोर्ट मांगी है. वहीं हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि सितंबर माह तक राज्य के हर व्यक्ति को वैक्सीन की एक डोज लगाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए।आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सरकार की तरफ से दी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि मध्यप्रदेश के 52 जिलों में से केवल 14 जिलों में ही सिटी मसीन लगी है. बाकी के 38 जिलों में सरकार ने वर्क ऑन द प्रोसेस कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था. खास बात यह है कि जबलपुर जो कि सबसे बड़ा संभाग भी है. बावजूद इसके यहां के इतने बड़े अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन का ना होना अपने आप में चौंकाने वाला था। दरअसल कोरोना की याचिका पर आज फिर सुनवाई हुई. जिसमें सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में सरकार की ओर से वैक्सीनेशन पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में सरकार ने कोर्ट को बताया गया कि एमपी को मई महीने में 35 लाख, जून में 54 लाख और 19 जुलाई तक कुल 60 लाख वैक्सीन मिल चुकी है. इस तरह से राज्य को अब तक 1 करोड़ 51 लाख वैक्सीन मिल चुकी है. वहीं, राज्य सरकार ने आने वाले अगस्त महीने में एक करोड़ वैक्सीन मिलने का अनुमान जताया है. जबकि वर्तमान हालातों को देखते हुए मध्य प्रदेश को हर महीने डेढ़ करोड़ वैक्सीन की जरूरत है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि सितंबर माह तक राज्य के हर व्यक्ति को वैक्सीन की एक डोज लगाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए। हाइकोर्ट ने निजी अस्पतालों की दरों को लेकर भी राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि कोर्ट मित्र द्वारा दिए गए सुझाव पर अमल किया जाएं. कोर्ट मित्र ने हाईकोर्ट को बताया कि देश के आठ राज्यों में निजी अस्पतालों की दरों को निर्धारित किया जा चुका है. ऐसे में मध्य प्रदेश में भी निजी अस्पतालों की दरों को निर्धारित किया जाना चाहिए. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को तय की गई है. जिसमें सरकार मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *