सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र के कुंदेड़ गांव के 7 युवकों को नक्सलियों ने तीन दिन से अगवा कर रखा है. जब 19 जुलाई को पूरे मामले की जानकारी ग्रामीणों को लगी, तब सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से युवाओं को सकुशल रिहाई करने की अपील की. लेकिन अब इन युवकों को छुड़ाने पहुंचे 27 ग्रामीण भी नक्सलियों के कब्जे में हैं.
एसपी सुनील शर्मा ने इसकी पुष्टि की है.दरअसल 18 जुलाई को कुंदेड़ गांव के 7 युवकों को नक्सलियों ने अगवा कर लिया. कुछ बाद ही गांव के 14 परिजन और अन्य ग्रामीण युवकों की रिहाई के लिए जंगल की ओर रवाना हो गए. 20 जुलाई को जब रिहाई कराने निकले परिजन और ग्रामीण भी वापस नहीं लौटे तब मामले का खुलासा हुआ. जिसके बाद इसकी जानकारी पुलिस को दी गई. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.
7 युवक समेत 34 ग्रामीण नक्सलियों के कब्जे में
20 जुलाई यानी मंगलवार को उन 14 ग्रामीणों में से दो ग्रामीणों को नक्सलियों ने कुंदेड़ भेजा. इस बार नक्सलियों ने 13 लोगों का नाम भी उन दोनों ग्रामीणों को सौंपा और उन्हें भी अपने कैम्पिंग इलाके में बुलाया. जिसके बाद जंगल से गांव पहुंचे दो ग्रामीण बाकी 13 ग्रामीणों को नक्सलियों के पास ले गए. लेकिन अभी तक ये सभी लोग वापस नहीं लौटे हैं. इस तरह 7 युवक और 27 ग्रामीणों को मिलाकर कुल 34 लोग नक्सलियों के चंगुल में फंसे हुए हैं.
ये हैं 7 युवक, जिन्हें नक्सलियों ने किया अगवा
पूरे मामले में आशंका जताई जा रही है कि ग्रामीणों पर दबाव बनाने नक्सलियों ने 7 युवकों को अगवा किया होगा. हालांकि नक्सलियों की ओर से मामले पर किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया है. जबकि क़यासों का दौर जारी है. वहीं नक्सलियों ने जिन युवकों को अगवा किया है, उनमें उईका सन्नु, उईका प्रकाश, उईका रामलाल, कारम हिरा, उईका मुकेश, तेलम प्रभात और उईका मुड़ा शामिल है.
सकुशल रिहाई की अपील
सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से अगवा किए गए युवकों की सकुशल रिहाई की अपील की है. आदिवासी प्रतिनिधियों ने कहा कि अगवा किए गए लोगों को किसी तरह का नुक़सान ना पहुंचाते हुए उन्हें सकुशल रिहा किया जाए. इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों में वेको हुंगा, गणेश माड़वी, रामदेव बघेल, उमेश सुंडम और अन्य लोग मौजूद थे.
मामले की जांच कर रही पुलिस
सुकमा एसपी सुनील शर्मा का कहना है कि नक्सलियों के कब्जे में ग्रामीणों के होने की सूचना मिली है. घटना की जानकारी मिलने के बाद जांच की जा रही है. नक्सली गांव के आदिवासियों पर लगातार दबाव बना रहे हैं. नक्सलियों की विचारधारा से ग्रामीण तंग आ गए हैं. ग्रामीण अब नक्सलियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसलिए नक्सली इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.