यूरो कप फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल में इटली से हार के बाद इंग्लैंड के प्रसंशकों द्वारा किए गए उत्पात की हर तरफ किरकिरी हो रही है। इसी कड़ी में इंग्लैंड के पूर्व स्टार क्रिकेटर केविन पीटरसन ने भी सोशल मीडिया पर फुटबॉल टीम के तीन अश्वेत खिलाड़ियों के साथ नस्ली दुर्व्यवहार की सोमवार को निंदा की। यही नहीं उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी स्थिति में क्या उनके देश को 2030 फीफा विश्व कप की मेजबानी का अधिकार मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान पीटरसन यहां के वेम्बले स्टेडियम में खेले गए फाइनल में इंग्लैंड के शानदार प्रदर्शन के बाद पेनल्टी शूटआउट में इटली से हारने के बाद फैली अराजकता में फंस गए थे। पीटरसन से पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और इंग्लैंड में इस खेल की संचालन संस्था फुटबॉल संघ (एफए) ने पेनल्टी शूट आउट में इटली के खिलाफ गोल करने से चूकने वाले इंग्लैंड के तीन अश्वेत खिलाड़ियों के प्रति नस्ली टिप्पणी की निंदा की थी।
रविवार रात हुए फाइनल में मार्कस रशफोर्ड की पेनल्टी गोल पोस्ट से टकरा गई थी जबकि बुकायो साका और जेडन सांचो की पेनल्टी को इटली के गोलकीपर ने रोक दिया। नियमित और अतिरिक्त समय में मुकाबला 1-1 से बराबर रहने के बाद इटली ने पेनल्टी शूट आउट में 3-2 से जीत दर्ज की।
पीटरसन से ट्वीट किया, ‘कल रात मैं डायलन के साथ अपनी कार से घर आ रहा था तो स्थिति पूरी तरह से भयानक थी। 2021 में ऐसा व्यवहार ?? हमें इतनी खुशी देने वाले खिलाड़ियों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल?? क्या हम वास्तव में 2030 विश्व कप (मेजबानी) के लायक हैं?’इससे पहले प्रधानमंत्री जॉनसन ने ट्वीट किया, ‘ये खिलाड़ी नायक की तरह तारीफ के हकदार हैं, न कि सोशल मीडिया पर नस्लीय दुर्व्यवहार के। इस तरह के घटिया दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को खुद पर शर्म आनी चाहिए।’
पीटरसन ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘ब्रिटेन में मीडिया शायद दुनिया में सबसे शक्तिशाली है। यह उनकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि सोशल मीडिया कंपनियों को हर उस व्यक्ति का सत्यापन करने के लिए मजबूर किया जाए जिसका उस पर खाता (जो सोशल मीडिया पर मौजूद) है। कोई रोबोट या कोई नकली खाता नहीं होना चाहिए। सभी के लिए जवाबदेही होनी चाहिए। यह समाज को नष्ट कर रहा है।’