- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपभोग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में कमी की घोषणा कर सकती हैं
- रोजगार में वृद्धि के लिए काफी समय से अटके श्रम सुधारों को बढ़ावा दिया जा सकता है
- इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में खर्च को बढ़ाया जा सकता है, कुछ बड़े प्रॉजेक्ट्स की घोषणा हो सकती है
- राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ नए टैक्सों की घोषणा हो सकती है, अमीरों पर सरचार्ज बढ़ सकता है
नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को नई सरकार का पहला बजट पेश करेंगी। देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री ऐसे समय में बजट पेश करने जा रही हैं, जब कम विकास दर, रोजगार में कमी, बचत और उपभोग में गिरावट, मॉनसून की खराब शुरुआत, वैश्विक सुस्ती और ट्रेड वॉर की वजह से चुनौतियां बहुत बढ़ चुकी हैं। क्या वह भारत के ग्रोथ इंजन को दोबारा रफ्तार दे पाएंगी?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रोथ को गति देने के लिए कुछ बड़े कदम उठा सकती हैं। विकास दर 5 साल के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है। वित्त वर्ष 2015 में 7.5 फीसदी की रफ्तार से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही।
2. राजकोषीय रोडमैप में संशोधन
प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राजकोषीय रोडमैप को संशोधित किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2020 के लिए अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.4 फीसदी निर्धारित किया गया था, जबकि वित्त वर्ष 17 और 18 में यह 3.5 फीसदी था।
3. टैक्स में कटौती से उपभोग को बढ़ावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उपभोग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में कमी की घोषणा कर सकती हैं। इसके तहत सभी टैक्सपेयर्स के लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है। इसके अलावा सभी कंपनियों के लिए यूनिफॉर्म कॉर्पोरेट टैक्स 25% करने की घोषणा हो सकती है।
4. बचत में गिरावट रोककर वृद्धि के उपाय
बचत में लगातार गिरावट आ रही है। सरकार को गिरावट रोकने और बचत में वृद्धि के उपायों को पर ध्यान देना होगा। परिवारों को और अधिक बचत करने के लिए टैक्स प्रोत्साहन की घोषणा की जा सकती है। वित्त वर्ष 2014 में जीडीपी का 32.1 फीसदी हिस्सा बचत खाते में था तो वित्त वर्ष 2018 में यह 30.5 फीसदी रहा।
5. विनिवेश में इजाफा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विनिवेश के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ सकती हैं। वित्त वर्ष 17 में 46,246 करोड़ रुपये के विनिवेश की घोषणा की गई थी, जबकि वित्त वर्ष 18 में 1,00,000 करोड़ रुपये विनिवेश की घोषणा की गई थी। अंतरिम बजट 2020 में 90,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था।
6. रोजगार में वृद्धि के लिए श्रम सुधार
रोजगार में वृद्धि के लिए काफी समय से अटके श्रम सुधारों को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके तहत नियोक्ताओं को नौकरी देने और हटाने को लेकर नियमों में लचीलापन लाया जा सकता है। नियुक्तियों पर अधिक प्रोत्साहन और सरकारी नौकरी में इजाफे जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। स्टार्टअप्स के लिए भी प्रोत्साहन की घोषणा की जा सकती है।
7. ग्रामीण भारत के लिए पैकेज
सीतारमण ग्रामीण इलाकों में खर्च को बढ़ावा देने के लिए कुछ उपायों की घोषणा कर सकती हैं। किसानों के लिए ब्याज दरों में कमी की जा सकती है तो खाद के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का इस्तेमाल हो सकता है। अंतरिम बजट में सरकार ने मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया था, जोकि वित्त वर्ष 17 में 38,500 करोड़ रुपये था।
8. जल संकट के लिए पैकेज
देश में जल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बार सरकार ने इसके लिए अलग मंत्रालय ‘जल शक्ति’ का गठन किया है। सरकार इस बजट में जल के लिए अलग कोष बनाएगी। इसके तहत एक बड़ी राशि का आवंटन हो सकता है। 2001 में प्रति व्यक्ति 1,816 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्धता थी जो 2025 में 1,340 और 2050 तक 1,140 क्यूबिक मीटर रह जाने की आशंका है।
9. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर
इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में खर्च को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कुछ बड़े प्रॉजेक्ट्स की घोषणा हो सकती है। फंड जुटाने के लिए बॉन्ड लाया जा सकता है।
10. नए टैक्सों की घोषणा
सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ नए टैक्सों की घोषणा भी कर सकती है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में वृद्धि की जा सकती है तो सरकारउत्तराधिकार कर यानी कि इनहेरिटेंस टैक्स की वापसी कर सकती है। बैकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स से राजस्व वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा अधिक आमदनी पर सरचार्ज भी लगाया जा सकता है।