गुप्त नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि पुष्य नक्षत्र में 11 जुलाई से प्रारम्भ होगी

धर्म-कर्म-आस्था

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का 11 जुलाई रविवार से प्रारंभ हो रहा है। आषाढ़ नवरात्रि जून-जुलाई के महीने में आती हैं। आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि का पर्व रविवार, 11 जुलाई को शुरू हाेगा और आषाढ़ शुक्ल नवमी, रविवार, 18 जुलाई 2021 तक मनाया जाएगा। इस बार गुप्त नवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो कि सुबह 5:31 बजे से रात्रि 2:22 तक रहेगा और उस दिन रवि पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है, जो कि गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना पर सभी कार्य सिद्ध करेगा। इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी, क्योंकि षष्टी और सप्तमी तिथि एक ही दिन होने के कारण सप्तमी तिथि का क्षय हुआ है।

घटस्थापना का शुभ समय

-लाभ और अमृत का चौघड़िया प्रातःकाल 9.08 मिनट से शुरू होकर 12.32 मिनट तक रहेगा।

-अभिजित मुहूर्त- दिन में 12.05 मिनट से 12.59 मिनट तक रहेगा।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधिः सुबह जल्दी उठकर सभी कार्यो से निवृत्त होकर नवरात्रि की सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें। मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं। मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें। पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें। नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें। अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं। आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें, मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।

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