रायपुर ।
हरियर छत्तीसगढ़ योजना इस साल मानसून में भी सूखने लगी है, क्योंकि उद्योगपतियों द्वारा पौधे लगाने के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि (फंड) वन विभाग को पिछले तीन साल से नहीं मिल रही है। वन विभाग के पास भी राजस्व का भी अभाव है। लिहाजा, वन विभाग द्वारा प्रदेशभर में हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत लगाए जाने वाले पौधोें की संख्या में कटौती कर दी है। उद्योगपतियों द्वारा अनुदान राशि न देने की वजह कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन को बताया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि फंड की कमी के चलते पौधे नहीं लग पाएंगे।
वर्ष 2016 में तत्कालिन सरकार ने उद्योगपतियों की बैठक लेकर प्रदेश में हरियर छत्तीसगढ़ योजना शुरू की थी। इसके तहत प्रदेशभर के उद्योगपतियों को स्वेच्छा अनुदान देना था। इसके लिए कुल पांच साल का डीपीआर 362 करोड़ रुपये बनाया गया था। उद्योगपतियों ने तीन साल में 197 करोड़ रुपये वन विभाग को मुहैया कराया। इसी आधार पर वन विभाग द्वारा पौधारोपण किया जाता था। वन विभाग के पास पैसा न होने की वजह से 2019 से अब तक हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत एक भी पौधे नहीं लग पाए हैं। योजना पूरी तरह से बंद होने के कगार पर पहुंच गई है।
फंड के अभाव में सिर्फ रखरखाव
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत फंड नहीं आ रहा है। इसको लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने उद्योगपतियों की बैठक भी बुलायी थी। इसमें उद्योगपतियों ने अनुदान राश्ाि देने की बात कही है, लेकिन अभी तक किसी ने फंड नहीं दिया है। इस कारण इस योजना के तहत बचे हुए फंड से सिर्फ पौधे का रखरखाव के लिए खर्च किए जाएंगे।