नई दिल्ली ।बंगाल चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने के बाद अब कांग्रेस पार्टी संसद में बीजेपी को घेरने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से करीबी बढ़ाने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द ही लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को पद से हटा सकती हैं। इस कदम को संसद के मॉनसून सत्र से पहले कांग्रेस पार्टी में किए जा रहे कई बदलावों का हिस्सा माना जा रहा है। चौधरी को पद से इसलिए भी हटाया जा सकता है ताकि तृणमूल कांग्रेस से दूरी घटाई जा सके और संसद में बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ मजबूती से अभियान चलाया जा सके। कांग्रेस ने बंगाल चुनाव में तृणमूल के खिलाफ लेफ्ट के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस अपने प्रचार में ममता बनर्जी पर हमला करने से बचती रही थी। पार्टी ने ममता की जीत का स्वागत भी किया था। लेकिन अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी और उनकी सरकार के धुर आलोचक रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस संसद में तृणमूल के साथ गठजोड़ में किसी तरह की अड़चन नहीं चाहती और इसलिए पार्टी अधीर रंजन चौधरी को सदन के नेता के पद से हटा सकती है। वहीं, दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल गवर्नर जगदीप धनखड़ के खिलाफ संसद में भी मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। राज्यपाल को पद से हटाने की मांग लेकर टीएमसी राष्ट्रपति के पास जा सकती है, इसके लिए वह कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों का साथ मांग सकती है। चौधरी बंगाल की बहरामपुर से ही कांग्रेस सांसद हैं। वह बंगाल चुनाव में पार्टी के कैंपेन का चेहरा थे और साथ ही बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष भी। अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के उन 23 नेताओं के समूह का भी खुलकर विरोध करते हैं जिन्होंने पार्टी में संगठनात्मक बदलाव के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। चौधरी पब्लिक अकाउंट्स कमेटी के भी चेयरमैन हैं। बंगाल में पार्टी की हार के बाद चौधरी ने कहा था कि कांग्रेस सिर्फ सोशल मीडिया पर रहकर जीत नहीं सकती बल्कि इसके लिए उसे सड़कों पर उतरना होगा। हालांकि, सवाल यह है कि अधीर रंजन चौधरी को हटाने के बाद कांग्रेस यह जिम्मेदारी किस नेता को सौंपेगी।
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शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके राजनीति छोड़ने के वादे की याद दिलाई, यदि 2022 में अविभाजित शिवसेना के विभाजन के दौरान उनके साथ रहने वाले…