इंदौर ।
मानसून की सुस्ती के कारण इस साल सोयाबीन की फसल को शुरुआती दौर में ही नुकसान होने लगा है। जिले के कई गांवों में हल्की जमीन में पौधे सूखने लग गए हैं। चार-छह दिन में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो फसलों के लिए बड़ा संकट होगा। कुछ गांव ऐसे हैं जहां सोयाबीन की बुआई के बाद से बारिश ही नहीं हुई। ऐसी जगह बीज का अंकुरण होकर पौधा बाहर निकलने में मुश्किल हो रही है। जिले के सिवनी गांव के किसान बच्चन सिंह बताते हैं कि हल्की और पथरीली जमीन में फसलों को ज्यादा नुकसान हो रहा है। क्षेत्र के जनकपुर, इमला झिरी, नाहर झाबुआ, बंजारी, खंडेल आदि गांवों में अधिकांश खेतों में सोयाबीन के पौधे तीन-चार इंच ही हो पाए हैं।
कुछ खेत ऐसे हैं, जहां बुआई के बाद से पानी नहीं आने के कारण खेत में मिट्टी की पपड़ीनुमा परत जम गई है। मिट्टी नरम न होने से अंकुरित बीज पपड़ी को तोड़कर बाहर नहीं आ पा रहा है। पीपल्दा गांव के किसान किशन मंडलोई ने बताया कि खेतों में डोरे तो चला रहे हैं, लेकिन फसल को पानी की सख्त जरूरत है। सोयाबीन की फसल 16-17 दिन की हो चुकी है, लेकिन पर्याप्त बारिश न होने से पौधों की बढ़वार नहीं हो पा रही है।