देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफे की पेशकश की है. उनको लेकर कोई संवैधानिक संकट जैसी स्थिति उत्पन्न न हो जाए, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है. यह जानकारी सूत्रों ने दी है
सूत्रों के अनुसार सीएम ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 151 का उल्लेख किया है. इसके अनुसार क्योंकि छह महीने में उप चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि पार्टी किसी दूसरे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए.
आपको बता दें कि सीएम तीरथ सिंह रावत ने आज ही चुनाव आयोग को उपचुनाव करवाने के लिए पत्र लिखा था. माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए यह उनकाा आखिरी दांव था.
तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद हैं. उन्होंने मार्च में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. पद पर बने रहने के लिए उन्हें सितंबर तक विधायक बनना था.
चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखने के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की. दोनों के बीच चुनावी समीकरणों और वर्तमान स्थिति को लेकर गहन चर्चा हुई.
आपको बता दें कि रामनगर में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर के समापन के तुरंत बाद सीएम को बीजेपी आलाकमान ने दिल्ली तलब किया था. जिसके बाद से प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की राजनीतिक चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं. हालांकि, दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वह दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के सामने आगामी चुनाव और चिंतन शिविर में हुए निर्णयों को रखने जा रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष के साथ अपनी मुलाकात के बारे में मीडिया से बात करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा, ‘हमने आगामी चुनावों के बारे में चर्चा की. हमने राज्य के विकास के लिए चर्चा की और केंद्र की योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए हमने बहुत काम किया है. साथ ही हमने उन योजनाओं को उत्तराखंड के लोगों तक ले जाने के लिए बात की थी.’
मुख्यमंत्री सीएम तीरथ सिंह रावत के तय कार्यक्रम के अनुसार, उन्हें गुरुवार को लौटना था, लेकिन अचानक से उनके प्रदेश वापसी का कार्यक्रम टल गया. जिससे नेतृत्व परिवर्तन की राजनीतिक चर्चाओं को बल मिला. वहीं, विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी सीएम तीरथ सिंह रावत को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है.
कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए शपथ ग्रहण के 6 महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी थी. यानी, उन्हें किसी भी विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतना था.
गंगोत्री और हल्द्वानी विधानसभा सीट हैं खाली
संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, ‘एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा.’ उत्तराखंड में गंगोत्री और हल्द्वानी दो विधानसभा सीटें हैं जो खाली हैं. गंगोत्री सीट भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद खाली हुई थी, जबकि हल्द्वानी सीट कांग्रेस विधायक इंदिरा हृदयेश के इस महीने नई दिल्ली में निधन हो जाने के बाद खाली हुई थी.