इंदौर ।
शहर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में दर्शक पहली बार अफ्रीकन जेब्रा भी देख पाएंगे। इसके साथ ही इंदौर चिडि़याघर प्रदेश का एेसा पहला चिडि़याघर बन जाएगा जहां अफ्रीकन जेब्रा के युवा जोड़ा भी होगा। जेब्रा को एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मुंबई के वीरमाता जीजाबाई भोसले उद्यान एंड जू से लाया जाएगा। दोनों चिडि़याघर प्रशासन के बीच इस आदान-प्रदान को लेकर सहमति बन गई है। इसके चलते स्थानीय जू प्रशासन ने जेब्रा के लिए बाड़ा बना रहा है जिसका 70 फीसद काम पूरा हो चुका है।
इस आदान-प्रदान पर अंतिम मुहर सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति से लगेगी। कोरोना संक्रमण के चलते रूकी जू अथॉरिटी की बैठक का दौर भी इस महीने से शुरू हो जाएगा। चिडि़याघर प्रबंधन की माने तो जेब्रा के जोड़े को आने में करीब तीन से चार महीने का समय लग सकता है। इससे पहले मुंबई का जू तीन जेब्रा के जोड़े दक्षिण अफ्रीका से लाएगा जिसमें से एक जोड़ा वह इंदौर जू को देगा। चिडि़याघर में अभी 10 शेर है। चिडि़याघर में अभी 60 से अधिक प्रजाति के जंगली जानवर और 650 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी हैं। पिछले तीन साल में इंदौर से पुणे, चंड़ीगढ़, नंदन कानन जू लाजिकल पार्क को शेर दिए जा चुके हैं। इनके बदले बार्किंग डियर, बबून बंदर, सारस क्रेन और पेलिकेन पक्षी का जोड़ा भी मिला था।
दो महीने पहले इंदौर जू में एक ब्लैक और व्हाइट टाइगर भी अोडि़शा से लाया गया है। इनके बदले भी दो शेरनियां, एक फिमेल लोमड़ी, एक फिमेल घड़ियाल अोडि़शा के नंदन कानन जूलाजिकल पार्क को दिया गया था। जू प्रभारी डा. उत्तम यादव के अनुसार अफ्रीकन जेब्रा प्रदेश के किसी चिडि़याघर के पास नहीं है। इंदौर के चिडि़याघर में इसे लाने की तैयारी चल रही है। शेरों और भेडिया के जोड़े के बदले इसे लाया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि यहां लोग अधिक से अधिक प्रजातियों को देख सके।
अफ्रीका में घोड़े की कई प्रजातियां, उनमें से एक
एजुकेशन आफिसर निहार पारुलकर के अनुसार मुंबई के जू द्वारा हमें युवा जोड़ा दिया जाएगा। अफ्रीकन घोड़े की कई प्रजातियां होती है। इनमें से जेब्रा भी एक है। इनके शरीर पर काली-सफेद धारियां होती है। इनकी औसत आयु 19 साल है। यह एक सामाजिक प्राणी होने के कारण झुंड बनाकर रहता है। इसके बावजूद घोड़े और गधे की तरह इन्हें पालतू नहीं बनाया जा सका है।