ऑक्‍सीजन ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट पर घमासान, भाजपा प्रवक्‍ता ने दिल्‍ली सरकार पर उठाए सवाल

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नई दिल्‍ली।

महामारी की दूसरी लहर में सामने आई ऑक्‍सीजन की किल्‍लत को लेकर एक बार फिर से केंद्र और दिल्‍ली सरकार आमने सामने आ गई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की बनाई ऑक्‍सीजन ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्‍ली सरकार ने महामारी के दौरान चार गुना अधिक ऑक्‍सीजन की जरूरत बताई थी। रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम में दिल्‍ली स्थित एम्‍स के डायरेक्‍टर रणदीप गुलेरिया, दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल होम सेक्रेट्री भूपिंदर भल्‍ला, मैक्‍स हेल्‍थकेयर के डायरेक्‍टर डॉक्‍टर संदीप बुद्धिराजा, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के ज्‍वाइंट डायरेक्‍टर सुबोध यादव शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्‍ली सरकार ने 25अप्रैल-10 मई के बीच जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्‍सीजन की मांग की थी। बता दें कि इस दौरान देश में महामारी चरम पर थी। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस अधिक मांग की वजह से देश के अन्‍य राज्‍यों को ऑक्‍सीजन की किल्‍लत का सामना करना पड़ा था। ऐसे करीब 12 राज्‍य थे।

दिल्‍ली सरकार पर आरोप लगाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के झूठ की वजह से 12 राज्यों में ऑक्सीजन किल्‍लत हुई, क्‍योंकि ऑक्‍सीजन की अधिक सप्‍लाई अन्‍य राज्‍यों से काटकर दिल्‍ली को करनी पड़ी थी। उन्‍होंने कहा कि केजरीवाल ने जघन्‍य अपराध किया है, जिसके लिए उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए। उन्‍होंने केजरीवाल के पूर्व के बयान का भी जिक्र किया है जिसमें उन्‍होंने कहा था कि आईसीएमआर की गाइडलाइंस के तहत की दिल्‍ली में ऑक्सीजन का कैलकुलेशन किया था, लेकिन जब कमेटी ने केजरीवाल से गाइडलाइंस मांगी तो उन्‍होंने इस पर अपने हाथ खड़े कर दिए थे। इसका अर्थ है कि उन्‍होंने इस बारे में झूठ बोला था।

इस रिपोर्ट पर दिल्‍ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि ये रिपोर्ट भाजपा के ऑफिस में बैठकर तैयार की गई है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि इस बारे में भाजपा झूठ बोल रही है। उनके मुताबिक, ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने इस तरह की कोई भी रिपोर्ट पर हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं। उन्‍होंने सवाल किया है कि फिर इस तरह की रिपोर्ट कहां से सामने आई है। उन्‍होंने ये भी जानना चाहा है कि यदि ऐसी कोई रिपोर्ट है तो बताया जाए कि इस पर किस-किस सदस्य के हस्ताक्षर हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्‍सीजन की जरूरत का जो फॉर्मूला है उसके मुताबिक दिल्‍ली को 289 एमटी ऑक्‍सीजन की जरूरत थी जबकि उसने केंद्र से 1140 एमटी ऑक्‍सीजन की मांग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्‍ली में ऑक्‍सीजन की औसत जरूरत 284 से 372 एमटी के बीच रहती है। इसमें कहा गया है कि जरूरत से अधिक ऑक्‍सीजन की मांग के चलते कई दूसरे राज्‍यों को ऑक्‍सीजन सप्‍लाई नहीं हो सकी, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा।

इसमें ये भी कहा गया है कि दिल्‍ली के सिंघल अस्‍पताल, अरुणा आसिफ अली अस्‍पताल, ईएसआईसी अस्‍पताल और लाइफरे अस्‍पताल में कम बेड होने के बावजूद सबसे अधिक ऑक्‍सीजन की मांग की गई थी। पेट्रोलियम एंड ऑक्‍सीजन सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, दिल्‍ली में जरूरत से अधिक ऑक्‍सीजन उपलब्‍ध थी। इसकी वजह से दूसरे राज्‍यों में इसकी दिक्‍कत महसूस की गई। इसमें ये भी कहा गया है कि दिल्‍ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर कभी भी ऑक्‍सीजन की खपत 29 अप्रैल-10 मई के बीच 350 एमटी से ऊपर नहीं हुई।

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