कमीशन के चक्कर में दूसरे से पौधों के लिए खरीद ली खाद

इंदौर प्रदेश मध्यप्रदेश

इंदौर ।

वनक्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए हर साल वन विभाग बड़े स्तर पर पौधे लगाता है। कम समय में ये पौधे अच्छे से पनप सके इसके लिए खाद और मिट्ठी भी डालते हैं। मगर पिछले साल खाद खरीदने में गड़बड़ी सामने आई है। नियमों का ताक पर रखकर इंदौर वनमंडल ने ऐसी एजेंसी से खाद खरीद ली है, जिसे टेंडर नहीं मिला। मामले में टेंडर प्राप्त एजेंसी ने वन विभाग मुख्यालय में शिकायत कर दी। उधर जिम्मेदारों के मुताबिक टेंडर हासिल करने वाली एजेंसी द्वारा खाद सप्लाय नहीं करना बताया है। हालांकि आडिट विभाग भी जांच में जुटा है।

बारिश के दिनों में पिछले साल फरवरी में इंदौर, महू, मानपुर और चोरल रेंज में पौधरोपण करना बताया। खाद खरीदने को लेकर टेंडर की प्रक्रिया होना थी। मगर मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से इंदौर वनमंडल ने टेंडर की प्रक्रिया कुछ महीनों के लिए आगे बढ़ी दी। जून में टेंडर बुलाए, जिसमें तीन से चार नर्सरी व एजेंसी ने हिस्सा लिया। सालभर के लिए खाद-मिट्टी सप्लाय करना थी। टेंडर गायत्री नर्सरी को खुला। शुरूआत में 100-100 किलो दो मर्तबा खाद बुलवाई। मगर बाद खाद के लिए किसी भी संपर्क नहीं किया। बाद में गायत्री की बजाए शिवाश्री नर्सरी से खाद बुलाई। टेंडर प्रक्रिया तत्कालीन वन संरक्षक किरन बिसेन के कार्याकाल में पूरी हुई।

पर्यावरण शाखा की रेंजर पुष्पलता मौर्य का कहना कि एजेंसी से खाद सप्लाय के लिए बोला था। कई वनकर्मियों ने एजेंसी से संपर्क किया तो साफ माना कर दिया। गायत्री नर्सरी के पकंज खंडेलवाल का कहना है कि वनकर्मियों ने खाद की बजाए मुझे बिल मांगे थे। ये देना संभव नहीं था। पकंज बताते है कि एक या दो बार खाद बुलवाई थी। बाद में विभाग ने डिमांड नहीं बताई। टेंडर में दूसरे स्थान पर रहने वाली एजेंसी से काम करवाया जा रहा है। इसकी शिकायत मुख्यालय में कर दी है। वन संरक्षक नरेंद्र पंडवा का कहना है कि मामले में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है। संबंधित अधिकारियों से चर्चा करता हूं। वैसे खाद से जुड़ेे भुगतान नहीं किए जा रहे है।

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