दंतेवाड़ा।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले को नक्सल मुक्त बनाने के लिए पांच नए कैंप और सात थाने खोले जाएंगे। जिले से नक्सलवाद का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है। फोर्स उन इलाकों तक पहुंच चुकी है, जो नक्सलगढ़ के तौर पर बदनाम थे और अति दुर्गम व पहुंचविहीन माने जाते थे। अब जिले का कुछ ही इलाका ऐसा बचा है जहां तक फोर्स नहीं पहुंच पाई है। अब ऐसे इलाकों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की तैयारी चल रही है।
इस योजना के तहत नए कैंपों में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) के जवानों की तैनाती की जाएगी। जिन इलाकों में कैंप खोेले जा रहे हैं वहां सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, राशन की दुकान जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। कैंप खुलेंगे तो गांवों तक सड़कें पहुंचने लगेंगी और सप्लाई चैन बन जाएगी। इससे नक्सलियों को भारी झटका लगेगा। उन्हें इलाके से दूर जाना होगा। उनके कारीडोर पर फोर्स का पहरा हो जाएगा।
बीते एक साल में दंतेवाड़ा जिले में नक्सल मोर्चे पर फोर्स को काफी सफलता मिली है। दंतेवाड़ा एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने नक्सलियों का रजिस्टर तैयार कराया, जिसमें करीब 15 सौ लोगों के नाम हैं। पुलिस उनके घरों तक जाकर उनके स्वजनों को समझा रही है। इसका व्यापक असर हुआ है। पुलिस के लोन वर्राटू यानी घर वापसी अभियान में अब तक 368 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
यहां खुलेंगे नए कैंप
सीएएफ के नए कैंप नहाड़ी, रेवाली, गोंडेरास, गुमियापाल, बड़ेपल्ली में खोले जाएंगे। मानसून के बाद इन गांवों में जवानों की तैनाती कर दी जाएगी। कैंप न होने से इन इलाकों में नक्सलियों की मनमानी चलती है और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओें का लाभ न के बराबर मिल पाता है। रेवाली में कैंप खुलने से मलगेर नाले पर पुलिया बन जाएगी। इससे दर्जनों गांवों को राहत मिलेगी।
नए खुलने वाले पांचों कैंप जिले की सरहद पर होंगे। गोंडेरास सुकमा जिले का सीमावर्ती गांव है तो गुमियापाल व बड़ेपल्ली बीजापुर जिले की सरहद से लगे हैं। इन्हीं इलाकों से होकर नक्सली एक से दूसरे जिले में आते-जाते हैं। अब नक्सलियों के मुख्य रास्तों पर फोर्स का पहरा हो जाएगा।
तीन नए पुलिस अनुभाग, सात थाने
सीएएफ कैंपों के अलावा जिले में सात नए थाने भी खोले जा रहे हैं। जिले में पहले पुलिस के दो अनुभाग थे, किरंदुल और दंतेवाड़ा। अब कुआकोंडा, कटेकल्याण व बारसूर को भी अनुभाग बना दिया गया है। जारम, सुरनार, छिंदनार, हीरानार, पालनार, टिकनपाल व मोलसनार में नए थाने खोले जाएंगे। नए कैंपों व थानों से नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। दूसरे अपराधों पर भी नियंत्रण होगा। जिले में बीते एक साल में नक्सल घटनाओं में काफी कमी आई है। नक्सल मुक्त दंतेवाड़ा की दिशा में यह बड़ा कदम है।