इस्लामाबाद ।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने उस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है जो भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के खिलाफ देश के हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति प्रदान करता है। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को अमल में लाने के लिए समीक्षा और पुनर्विचार का अधिकार प्रदान करता है। 21 सदस्यीय स्थायी समिति की स्वीकृति के बाद नेशनल असेंबली ने गुरुवार को इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की। इसे ‘इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कंसीडेरेशन) एक्ट’ नाम दिया गया है। जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले के मद्देनजर पाकिस्तान सरकार पूर्व में नेशनल असेंबली में एक अध्यादेश लाई थी। यह एक्ट पूरे पाकिस्तान में लागू होगा और तत्काल प्रभावी हो जाएगा।
आपको बता दें कि ये सभी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के उस फैसले के बाद संभव हो सका है जिसमें कोर्ट ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को फैसले पर पुनर्विचार और इसकी समीक्षा करने को कहा था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इमरान सरकार विरोधियों को दरकिनार कर वर्ष 2020 में आईसीजे के फैसले के मद्देनजर नेशनल असेंबली में एक अध्यादेश पास किया था। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने वर्ष 2017 में जासूसी करने और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले और पाकिस्तान की सरकार द्वारा जाधव को काउंसलर एक्सेस देने से इनकार करने के खिलाफ हैग की इंटरनेशनल कोर्ट में अपील की थी। हैग की अदालत ने वर्ष 2019 में कहा कि जाधव को मिली सजा की समीक्षा होनी चाहिए और इस पर पुनर्विचार करने की भी बात कोर्ट ने कही थी। कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को लताड़ते हुए ये भी कहा था कि जाधव को काउंसलर एक्सेस मिलना उसका एक अधिकार है, जिससे उसको वंचित नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान नेशनल असेंबली में इस बिल के पास होने के बाद हाई कोर्ट को इसका अधिकार मिल जाएगा कि वो वियना संधि के मद्देनजर किसी विदेशी नागरिक पर हुए कोर्ट के फैसले की समीक्षा और इस पर पुनर्विचार कर अपना निर्णय सुनाए। इस बिल का प्रभाव पूरे पाकिस्ताान पर भी पड़ेगा। इस बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान की जेल में बंद कोई भी विदेशी नागरिक जिसको पाकिस्तान की सैन्य अदालत से सजा मिली हो, अपने देश के काउंसलर ऑफिसर के जरिए हाईकोर्ट में अपील कर सकेगा। हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इस अपील पर विचार करेगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष इस्लामाबाद हाईकोर्ट की लार्ज बैंच ने जाधव समेत तीन अन्य भारतीय कैदियों की सजा पूरी होने के बाद रिहाई न होने पर सुनवाई शुरू की थी। इसी वर्ष जनवरी में भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की ये कहते हुए कड़ी आलोचना भी की थी कि वो अंतरराष्ट्रीय कोर्ट द्वारा कही गई बातों पर अमल नहीं कर रहा है।