इंदौर।
कोरोना कर्फ्यू के कारण लगभग दो महीने से आलू-प्याज मंडी में कामकाज पूरी तरह बंद है। कारोबारियों के बाद अब किसानों का धैर्य भी टूटने लगा है। मई और जून का महीना प्याज और आलू के किसानों के साथ बाजार के लिए भी अहम होता है। बारिश के जोर पकड़ते ही सैकड़ों टन प्याज बर्बाद होना तय है। आलू-प्याज उत्पादक किसानों की ओर से भारतीय किसान संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राहत मांगी है। इस बीच कारोबारी भी प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि अगर मंडी नहीं खोली गई तो प्याज के निर्यात कारोबार में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इंदौर में मंडी बंद होने से हर दिन करीब 10 करोड़ के कारोबार का नुकसान हो रहा है।
अप्रैल में चोइथराम थोक मंडी बंद होने तक बेस्ट प्याज के लिए किसानों को 900 से 1100 रुपये क्विंटल, ज्योति आलू 1100 से 1300 रुपये क्विंटल जबकि बेस्ट क्वालिटी की ऊंटी लहसुन के लिए 7000 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक दाम मिल रहे थे। देवी अहिल्या थोक आलू-प्याज मंडी में हर दिन 40 से 50 हजार बोरी प्याज, 20-25 हजार बोरी आलू व 15 से 20 हजार बोरी लहसुन की आवक होती थी।
कैसे हो रहा नुकसान
मंडी बंद होने से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। जून प्याज की आवक के लिए सबसे अहम मौका होता है। बांग्लादेश से भी निर्यात मांग निकली हुई है। आगे ईद का सीजन है। मंडी बंद है तो निर्यात के आर्डर अटक गए हैं। गुजरात, महाराष्ट्र में कारोबार शिफ्ट होने लगा है।
किसानों के 50 लाख हजम
इंदौर के किसान भारतीय किसान संघ के दिलीप मुकाती अनुसार उत्पाद किसानों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। बीते वर्ष भी लाकडाउन के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। अनजान व्यापारियों से हुए सौदों में मालवा क्षेत्र के किसानों के 50 से 60 लाख अटक गए हैं।
इंदौर की मंडी इसलिए महत्वपूर्ण
- मध्य प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों का आलूप्याज बिक्री के लिए मंडी में आता है।
- नासिक से प्याज व आगरा से आलू आता है, क्योंकि यहां दाम अच्छे हैं।
- इंदौर की मंडी बंगाल, बिहार और उप्र को प्याज की आपूर्ति करती है।