भोपाल । कोरोना वायरस संकट के कारण जारी लॉकडाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। यही वजह है कि प्रदेश में कई विकास कार्य आर्थिक तंगी के कारण अधूरे पडे हैं। आर्थिक तंगी के कारण ही प्रदेश में स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों की राह रोक दी है। भोपाल, इंदौर और जबलपुर में स्मार्ट सिटी के आकार लेने की समयसीमा इस साल पूरी हो रही है पर काफी काम अधूरे हैं। इन शहरों में न तो स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चयनित भूमि बिक पाई है और न काम आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से राशि मिली। दूसरे चरण में ग्वालियर-उज्जैन का चयन हुआ था। इसमें से ग्वालियर में अपेक्षानुरूप काम नहीं हो पाया। जबकि उज्जैन में कुछ काम हुआ है। इन शहरों में भी वर्ष 2022 तक काम पूरा करना है। इस स्थिति को देखते हुए परियोजना की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। परियोजना के अधिकारी यह बात पहले ही केंद्र सरकार के सामने रख चुके हैं। इंदौर, भोपाल और जबलपुर में वर्ष 2016 से स्मार्ट सिटी का काम चल रहा है। इसे वर्ष 2021 में पूरा होना है, पर लगातार आते रहे अंडगों की वजह से काम बहुत पीछे है और समयसीमा में पूरा हो पाना मुश्किल है। पिछले डेढ़ साल से कोरोना और उसके पहले डेढ़ साल तक प्रदेश के राजनीतिक हालातों ने स्मार्ट सिटी की राह रोक रखी थी। इससे पहले रियल एस्टेट में आई मंदी की वजह से परियोजना में दुकान, मकान एवं अन्य उपयोग के लिए चयनित जमीन नहीं बिकी। जबकि सरकार से मिलने वाली राशि के साथ जमीन बेचकर परियोजना के आगे के कामों को पूरा करना था। उज्जैन में दो साल से रुका काम : उज्जैन और ग्वालियर में वर्ष 2017 में परियोजना मंजूर हुई थी और वर्ष 2022 तक पूरा करना है। उज्जैन में पिछले ढाई साल से कामकाज ठप पड़ गया है। जबकि ग्वालियर में 73 काम शुरू हुए, जिनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ है। 280 परियोजनाओं में से 226 पर ही चल रहा काम सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सभी छह शहरों में 280 परियोजनाओं पर काम होना था। इनके टेंडर भी जारी हो गए, पर अभी तक 226 परियोजनाओं पर ही काम चल रहा है और ये पूरी होने की स्थिति में हैं। इनमें इंदौर की 97 में से 55, भोपाल की 108 में से 50, जबलपुर की 53 में से 24, उज्जैन की 73 में से 27, ग्वालियर की 53 में से 17 और सागर की 53 में से 18 परियोजनाएं शामिल हैं।हालात ऐसे हैं कि स्मार्ट सिटी कंपनी उन कामों के भी टेंडर जारी कर चुकी है, जो बाद में होने थे। कई कामों के ऑर्डर भी दिए जा चुके हैं, पर राशि न होने के कारण वर्तमान में जो काम होना है, वह भी नहीं हो पा रहे हैं।
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