इंदौर ।
खाद्य तेलों के विदेश से आयात पर ड्यूटी घटाने जा सकती है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस बारे में जल्द ही घोषणा की जा सकती है। तेल-तिलहन को लगातार तेजी की ओर से जा रहे डब्बा सटोरियों में इस खबर के बाद घबराबट है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सीधे तौर पर कम से कम 7 प्रतिशत तक ड्यूटी कम करने की तैयारी में है। भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। अपनी जरुरत का दो तिहाई खाद्य तेल देश में आयात किया जाता है।
आयात शुल्क की कमी का सीधा असर तेल के घरेलु बाजार और दामों पर पड़ेगा। सरकार भी उपभोक्ताओं को तेल की महंगाई से मुक्ति दिलाने के लिए ड्यूटी घटाने का फैसला ले रही है। फिलहाल देश में पाम तेल के आयात पर लगभग 32.5 प्रतिशत ड्यूटी चुकाना पड़ती है। इसी तरह सोयाबीन और अन्य खाद्य तेलों पर 35 प्रतिशत की दर से ड्यूटी वसूली जाती है। भारत पाम तेल का प्रमुख आयात मलेशिया और इंडोनेशिया से करता है। जबकी सोयाबीन व सूरजमुखी जैसे तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से प्रमुख रूप से आयात किए जाते हैं। सालभर में भारत में खाद्य तेल के दाम में ऐतिहासिक तेजी रही। घरेलू खेरची बाजार में खाद्य तेल की कीमतें सालभर पहले के उच्चतम स्तर से दोगुनी हो गई है।
फिलहाल भारत के बंदरगाहों पर कच्चे पाम तेल की पड़तल करीब 1173 डालर प्रति टन बैठ रही है। एक साल पहले कच्चा पाम तेल भारत के बंदरगाह पर 559 डालर प्रति टन में पहुंच रहा था। यानी आयात की लागत भी सीधे तौर पर दोगुनी हो गई है। सरकार यदि 7 प्रतिशत भी ड्यूटी घटाती है तो भी तेल की आयात लागत और कीमत में अच्छा खासी कमी होगी। क्योंकि आयात के लिए पैसा डालर में चुकाना होता है और टैक्स का हिसाब भी उसी अनुपात में बनता है। इधर वायदा (एनसीडीईएक्स) पर जून सोयाबीन तेल 1432 रुपये के स्तर पर गुरुवार सुबह जा चुका था। जानकारों के अनुसार अब इससे ज्यादा तेजी की ओर उम्मीद नहींं है। ताजा सरकारी संकेत के बाद अब वायदा की तेजी को बरकरार रखना भी सट्टेबाजों के बस में नहींं है।