भोपाल ।
कोलार समेत पुराने शहर के कई क्षेत्रों में मटमैले एवं बदबूदार पानी की सप्लाई का मामला मप्र मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है। आयोग ने संभागायुक्त एवं निगम आयुक्त से 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है। इतवारा, शाहजहांनाबाद, सिंधी काॅलोनी, जहांगीराबाद आदि क्षेत्रों में कई दिन से गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है। जिससे 50 हजार से अधिक आबादी परेशान हैं। सीवेज एवं पाइप लाइन की खोदाई होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। उप नगर कोलार में भी यही स्थिति निर्मित हो रही है। यहां के ललितानगर, राजहर्ष, बंजारी इलाके में केरवा डेम से 20-20 लाख लीटर क्षमता की बनी चार टंकियों से गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है। बीमाकुंज, सर्व-धर्म इलाकों में भी मटमैले और बदबूदार पानी की सप्लाई हो रही है। इसे लेकर लोग निगम अधिकारियों से शिकायत भी कर रहे हैं।
बावजूद समस्या का हल नहीं निकल पाया है। इस मामले में आयोग ने संभागायुक्त कवींद्र कियावत, निगमायुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी से पानी की जांच कराकर 10 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। आयोग ने अधिकारियों से पूछा है कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नए ओवरहेड टैंक के जरिए नहीं होगी, तब तक क्या बताए अनुसार मटमैले पानी का ही उपयोग क्षेत्र के निवासी करेंगें या उन्हें शुद्ध पेयजल प्राप्ति के मौलिक/मानवीय अधिकार के संरक्षण हेतु कोई अन्य व्यवस्था की जाएगी। इस संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन दिया जाए। आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन एवं सदस्य मनोहर ममतानी ने प्रतिवेदन मांगा है।
बड़े तालाब में गंदा पानी छोड़ने का मामला भी संज्ञान में
बड़े तालाब में सीवेज को रोकने के लिए सात करो़ड रुपये खर्च कर शिरीन नदी पर पांच एमजीडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। नगर निगम ने दावा किया है कि अब झील में सीवेज के ट्रीटमेंट के बाद ही क्लोरीन मिला पानी छोड़ा जाएगा, लेकिन एक पाइप के जरिये अनट्रीटेड सीवेज सीधे झील में छोड़ा जा रहा है। इसे लेकर वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है। इस मामले को आयोग ने संज्ञान में लेकर 15 दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा है।